आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कांग्रेस संस्थापकों ने कभी सपनों में भी नहीं सोंचा होगा कि कांग्रेस के मुकाबले NOTA अधिक वोट ले लेगा। दूसरे, एक तरफ कांग्रेस राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए संघर्षरत है, जबकि तेलंगाना निकाय चुनाव में जितनी दुर्गति कांग्रेस की हुई है, शायद ही किसी अन्य पार्टी की हुई हो। यह संभव हो सकता है कि किसी मतदान केंद्र पर वोट न मिलना अलग बात है, लेकिन पुरे चुनाव में एक भी वोट न मिलना लज्जा की बात है। मजे की बात है कि कांग्रेस उम्मीदवार को अपनी स्वयं की, परिवार की और पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता तक की वोट न मिलने का क्या अर्थ निकाला जाए?
तेलंगाना में हाल ही में हुए निकाय चुनावों में एक अजीबोगरीब वाकया देखने को मिला। जहाँ एक तरफ राज्य में कॉन्ग्रेस पार्टी पहले से ही अस्तित्व की लड़ाई का सामना कर रही है, उसके एक उम्मीदवार को शून्य वोट मिलना चर्चा का विषय बन गया। जी हाँ, वेमुलावाड़ा नगरपालिका वॉर्ड नंबर 17 से कांग्रेस के उम्मीदवार का खाता तक नहीं खुल पाया। हालाँकि, कांग्रेस उम्मीदवार का कहना है कि उन्होंने और उनके परिजनों ने उन्हें वोट नहीं डाला क्योंकि वो लोग वार्ड 12 के निवासी हैं। पूरे राज्य में इस ख़बर के कारण कांग्रेस का मजाक बना।
कांग्रेस पार्टी के तेलंगाना यूनिट ने कहा है कि वो इस मामले की जाँच कराएगी। अपने उम्मीदवार नागरानी ईसरावेल्ली को शून्य वोट मिलने के पीछे पार्टी ने किसी साज़िश की ओर इशारा किया है। उस क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार 671 वोटों के साथ दिव्या चिंतापणि ने वॉर्ड से जीत दर्ज की। बता दें कि चिंतापणि सत्तारूढ़ दल तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की बागी नेता हैं। वहीं दूसरे नंबर पर टीआरएस नेता ने 443 वोट हासिल किए। कांग्रेस उम्मीदवार को एक भी वोट नहीं मिला।
यहाँ तक कि उक्त वार्ड से नोटा को भी 5 लोगों का वोट मिला। 14 लोगों के मतों को अमान्य करार दिया गया। यानी कांग्रेस से ज्यादा वोट नोटा को मिले और उससे भी ज्यादा वोट अमान्य करार दिए गए। एक अन्य उम्मीदवार गुंती भवानी को सिर्फ 1 वोट मिला। इसमें सिर्फ उनका वोट शामिल था। यानी, उन्हें ख़ुद के अलावा किसी और ने वोट दिया ही नहीं।
तेलंगाना कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पूनम प्रभाकर ने कहा कि वो इस मतगणना के परिणामों से हैरान हैं। नाराज अध्यक्ष ने पूरी चुनावी प्रक्रिया पर ही संदेह जाहिर किया। उन्होंने कहा कि मामले की आंतरिक जाँच करवाई जाएगी और जिला निर्वाचन अधिकारी से भी चुनाव प्रक्रिया की जाँच किए जाने की माँग की जाएगी। अगर पूरे चुनाव की बात करें तो तेलंगाना नगर निकाय में टीआएरस ने बड़ी जीत दर्ज की है। टीआरएस ने 120 नगरपालिकाओं में से 100 और नौ नगर निगम में से 7 पर जीत की पताका लहराई।
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।