नोएडा । जनपद गौतमबुद्धनगर में यूं तो कमिश्नरी राज आरंभ हो गया है परंतु लोगों को फिलहाल प्रशासनिक सुविधा के स्थान पर असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है । खासतौर से एसडीएम और डीएम से फौजदारी मुकदमों को पुलिस के लिए स्थानांतरित करने से लोगों की तकलीफें बढ़ी हैं । 145 ,133 , 107 /116 , 151 सीआरपीसी की कार्यवाही में जिन लोगों को एसडीएम कोर्ट से त्वरित लाभ मिल जाया करता था , अब इसके लिए उन्हें पुलिस अधिकारियों के यहां जाना होगा।
साथ ही मुकदमों के पुलिस अधिकारियों के यहां ट्रांसफर हो जाने से वकीलों को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। फौजदारी की सभी पत्रावलीयों में एसडीएम कोर्ट में सुनवाई एकदम बंद कर दी गई है। यही स्थिति डीएम कोर्ट की है।
लोग अभी तक यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके मुकदमों की कार्यवाही अब कहां किस समय और कब से शुरू होगी ? – इसके अतिरिक्त जिन मामलों में खेती की पैमाइश के लिए उपजिलाजिस्ट्रेट लोगों को पुलिस बल मुहैया करा दिया करते थे अब उनमें भी दोहरी व्यवस्था हो गई है। खेतों की पैमाइश के लिए उप जिलाधिकारी के आदेश से जहां लेखपाल व कानूनगो पैमाइश कार्य संपन्न करेंगे वहीं उन्हें पुलिस बल उपलब्ध कराया जाना है या नहीं इसके लिए आपको पुलिस अधिकारियों के यहां पर ही जाना होगा । जो कि प्रशासनिक व्यवस्था के लिए बहुत ही कष्ट कर स्थिति बन जाएगी । क्योंकि इससे अंतिम परेशानी उस किसान को होगी जो अपनी खेत की पैमाइश कराना चाहता है परंतु दूसरा पक्ष इस कार्य को नहीं होने दे रहा है और उसे अब पुलिस बल की आवश्यकता है।
अधिवक्ताओं ने इस समस्या के समाधान के लिए सरकार को अपनी होने वाली समस्याओं से परिचित कराते हुए पत्र भी लिखा है । जिसे एक ज्ञापन के रूप में भेजा गया है । जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि कमिश्नरी राज में प्रशासनिक परेशानियां किस कदर बढ़ रही हैं और इससे लोगों को लाभ के स्थान पर हानि कुछ अधिक उठानी पड़ रही है । अब देखते हैं कि शासन इस संबंध में क्या निर्णय लेता है ?
वैसे अधिवक्ताओं की मानें तो इसका एक ही इलाज है कि प्रत्येक तहसील पर भी सक्षम पुलिस अधिकारी को संबंधित फौजदारी के मामलों की सुनवाई के लिए बैठाया जाए और कानून व्यवस्था की स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए लोगों की पहुंच के भीतर उनका कार्यालय तहसील स्तर पर ही स्थापित किया जाए।