डॉक्टर अब इस बात पर अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं कि किसी व्यक्ति को कब और कैसे मृत माना जाए.उनका कहना है कि तकनीकी विकास की वजह से जिंदगी और मौत के बीच की विभाजक रेखा बहुत धुंधली हो गई है.डॉक्टरों ने पहले मृत घोषित किए लोगों के बाद में जिंदा पाए जाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अधिक शोध और साफ दिशा-निर्देशों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.पढ़िए: जब वो मौत के मुँह से निकल आई.इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने काम करना शुरू कर दिया है।
दिल और दिमाग
अधिकांश अस्पतालों में डॉक्टर किसी व्यक्ति के दिल, फेफड़ों और सांस का परीक्षण करने के बाद ही उसकी मौत की घोषणा करते हैं.ब्रिस्टल के फ्रिंचे अस्पताल के सलाहकार एनेस्थेटिक डॉक्टर एलेक्स मानारा कहते हैं, “चिकित्सा साहित्य में 30 से अधिक ऐसे मामलों का जिक्र है जिसमें मृत बताए गए लोग बाद में ज़िंदा पाए गए. उनका कहना है कि इन घटनाओं ने वैज्ञानिकों को इस बात के लिए प्रेरित किया है कि क्या मौत की घोषणा में और सुधार किया जा सकता है.”यूरोपियन सोसाइटी ऑफ़ एनिस्थेलॉजी की एक बैठक में उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में किसी को मृत घोषित करने से पहले उसके शरीर पर बहुत ध्यान नहीं दिया जाता है.किसी व्यक्ति की मौत की घोषणा करने के लिए डॉक्टर द्वारा उसके शरीर पर कम से कम पांच मिनट तक नज़र रखने के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य दिशा-निर्देश बनाने की मांग हो रही है.जिससे किसी ऐसे व्यक्ति को मृत न घोषित किया जा सके जिसके दिल और फेफड़े सामान्य रूप से ठीक हो सकते हैं.
दिमाग की कोशिकाएं
शुरुआती विचार
बार्सिलोना विश्वविद्यालय में एनस्थिसिया के प्रोफ़ेसर रिकर्ड वालेरो सघन चिकित्सा कक्ष में रखे गए किसी व्यक्ति के हृदय और फेफड़ों को मशीन के जरिए चलाने के दुर्लभ मामलों पर विचार करेंगे.इस तरह के मामलों में मौत की घोषणा के लिए डॉक्टर ब्रेन डेथ या दिमागी तौर पर मौत होने का सहारा लेते हैं.मरीज़ के दिमाग की सक्रियता का पता लगाने के लिए कई तरह के न्यूरोलॉजिकल परीक्षणों का सहारा लिया जाता है.दुनियाभर में ब्रेन डेथ को स्थापित करन वाली प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव आया है.उदाहरण के लिए कनाडा में एक डॉक्टर ब्रेन डेथ की घोषणा कर सकता है, वहीं ब्रिटेन में इसके लिए दो डॉक्टरों की ज़रूरत होती है. स्पेन में इसके लिए तीन डॉक्टर चाहिए.ब्रेन डेथ की घोषणा से पहले होने वाले न्यूरोलॉजिकल परीक्षण भी अलग-अलग जगह अलग-अलग संख्या में किए जाते हैं.
डॉक्टरों की मदद
-साभार(बीबीसी)