आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली के जामिया इस्लामिया से शुरू होकर शाहीन बाग़ और देश राज्यों में नागरिकता संधोधन कानून के विरोध में मुसलमानों में जो जहर घोलने का काम मोदी-विरोधियों ने किया है, क्या वह इस आग को बुझाने में सक्षम हैं? क्या जनता ने उन्हें नेता इसीलिए बनाया अथवा माना था कि सत्ता हाथ से निकलने पर देश के टुकड़े करवा दिए जाएं? क्या यही भारतीय संविधान कहता है?
विरोध की आग लगाने की आड़ में जो हिन्दू विरोधी नंगा नाच हो रहा था, वहीं से लग रहा था कि कहीं कोई अनहोनी न हो घटने की नौबत आए, लेकिन शक अब सामने आ गया।
क्या स्वतन्त्रता सेनानियों की कुर्बानियों को व्यर्थ किया जाएगा?
इस सन्दर्भ में स्मरण होते है बंटवारे के समय पाकिस्तान जाते मुसलमानों के नारे “हंस के लिया है पाकिस्तान, लड़कर लेंगे हिन्दुस्तान”। और इस पर मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत की सरकार से कहा था, “मुस्लिम लीग को हिन्दुस्तान में बैन कर दो”, परन्तु तुष्टिकरण पुजारी जवाहर लाल नेहरू ने बैन करने की बजाए मुस्लिम लीग को केवल केरल तक ही सीमित रखा, लेकिन नेहरू की पुत्री इन्दिरा गाँधी उसे केरल से बाहर ले आयी। और उसके बाद भारत में SIMI, Popular Front of India और न जाने कितने नाम बदलकर मुस्लिम लीगी भारत में अपने पैर जमा चुके हैं, जिस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों ने कोई लगाम नहीं लगाई। लोग इतिहास से सीखते हैं, लेकिन यहाँ नेता जनसेवा के नाम पर जनता को भ्रमित कर देश के टुकड़े करने वालों के साथ जा खड़े होते हैं। यही कारण है कि नागरिक कानून की आड़ में आज देश तोड़ने का काला सच भी सामने आ गया है। कौन है इसका जिम्मेदार? क्या नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद, प्रो नन्द किशोर निगम, राम प्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपत राय,आदि ने इसी दिन के लिए घर-परिवार छोड़ ब्रिटिश सरकार की यातनाएं सही थीं।
कहाँ हैं नागरिक कानून के विरोध की आग लगाने वाले?
इन दिनों देश भर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा, मारपीट और बदसलूकी कर रहे हैं कुछ भ्रमित लोग। साथ ही इस प्रदर्शनों में देश विरोधी, हिंदू विरोधी और आजादी के नारे भी लगाए जा रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स खुलेआम असम को हिंदुस्तान से अलग करने की बात कर रहा है। शख्स का नाम शरजील इमाम बताया जा रहा है और इसे शाहीन बाग में हो रहे विरोध प्रदर्शन का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
वायरल हुए इस वीडियो में शरजील कहता है, “अब वक्त आ गया है कि हम गैर मुस्लिमों से बोलें कि अगर हमारे हमदर्द हो तो हमारी शर्तों पर आकर खड़े हो। अगर वो हमारी शर्तों पर खड़े नहीं होते तो वो हमारे हमदर्द नहीं हैं। एक चीज तो यह है और दूसरी चीज जो मैंने बिहार में देखा। मैं यहाँ पर बिहार का उदाहरण दूँगा। वहाँ पर बहुत सारी रैलियाँ हो चुकी हैं। हर रोज एक-दो बड़ी रैलियाँ होती हैं। कन्हैया वाली रैली देखी थी। 5 लाख लोग थे उस रैली में। अब मसला यहाँ पर यह है कि अगर 5 लाख लोग हमारे पास ऑर्गेनाइज्ड हों तो हम नार्थ ईस्ट और हिंदुस्तान को परमानेंटली काट कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो कम से कम एक-आध महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से काट ही सकते हैं। मतलब इतना मवाद डालो पटरियों पर, रोड पर कि उनको हटाने में एक महीना लगे। जाना हो तो जाएँ एयरफोर्स से।”
आगे इमाम कहता है, “असम को काटना हमारी जिम्मेदारी है। असम और इंडिया कटकर अलग हो जाए, तभी ये हमारी बात सुनेंगे। असम में मुसलमानों का क्या हाल है, आपको पता है क्या? CAA-NRC लागू हो चुका है वहाँ। डिटेंशन कैंप में लोग डाले जा रहे हैं और वहाँ तो खैर कत्ले-आम चल रहा है। 6-8 महीनों में पता चलेगा कि सारे बंगालियों को मार दिया गया वहाँ, हिंदु हो या मुसलमान। अगर हमें असम की मदद करनी है तो हमें असम का रास्ता बंद करना होगा फौज के लिए और जो भी जितना भी सप्लाई जा रहा है बंद करो उसे। बंद कर सकते हैं हम उसे, क्योंकि चिकन नेक जो इलाका है, वह मुस्लिम बहुल इलाका है।”