संकरी जगहों पर रास्ता बनाने की चींटियों की काबिलियत की नकल करके ऐसे रोबोट तैयार किए जा सकते हैं जिनका इस्तेमाल खोज और राहत-बचाव के काम में किया जा सकता है.ये नतीजा चींटियों के बारे में किए गए एक अध्ययन के बाद सामने आया है.अमरीका के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि चींटियां अपने एंटीना का इस्तेमाल उस वक्त अतिरिक्त अंग के तौर पर करने लगती हैं जब वो गिरने लगती है.इसका इस्तेमाल वो बालू के भीतर सुरंग बनाने में भी करती हैं.शोधकर्ताओं ने चींटियों की इस खासियत का अध्ययन करने के लिए हाई स्पीड कैमरे का सहारा लिया।
चींटियों की गतिविधियां
इससे संबंधित अध्ययन ‘पीएनएएस’ में प्रकाशित हुआ है. पीएनएएस अमरीका की नेशनल एडेकमी ऑफ साइंस को कहते हैं.इस रिसर्च का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर निक ग्रैविश ने चींटियों का पता लगाने के लिए दो प्रयोग किए.पहला प्रयोग साइंटफिक ग्रेड आंट फार्म्स का था.इस प्रयोग में पहले उन्होंने चींटियों को सुरंग बनाने दिया गया इसके बाद उन्हें ग्लास के दो प्लेट के बीच फंसा दिया गया.इसकी वजह से चींटियों की हर गतिविधि और सुरंग को देखा जा सका और इसका फिल्मांकन भी किया गया.डॉक्टर ग्रैविश कहते हैं, “चींटियां बहुत तेजी से चल सकती हैं. अगर आप इसे स्लो मोशन में देखें तो आप पाएंगे कि वो कई कई बार गिरती हैं. हां, इस बारे में महत्वपूर्ण बात ये है कि हर बार गिरने के बाद चींटियों ने खुद को तुरंत संभाल भी लिया.”
एंटीना का इस्तेमाल
वातावरण का फर्क नहीं
समस्याओं से निजात
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि खोज और राहत में रोबोट की भूमिका अभी बहुत सीमित है.
वो कहते हैं, “तबाही वाली जगहों पर जहां जमीन धंसती या फिर जहां मलबा जमा होता है वहीं पर आपको सुरंग बनाना होता है. उदाहरण के लिए आप उन लोगों के लिए अस्थायी संरचना विकसित करना चाह रहे हों जो मलबे के नीचे दबे होते हैं.”चींटियां बालू और मिट्टी में बिना किसी आर्द्रता के सुरंग बना लेती हैं.इनसे सीख लेकर ऐसे रोबोट तैयार किए जा सकते हैं जो इस तरह की समस्याओं से निजात दिला सकते हैं.
-साभार(बीबीसी)