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कविता

वे वीर जवान

!!वे वीर जवान!!
वे वीर जवान,
जो ठहरे हैं सीमाओं पर,
जाड़े में काँप काँप कर
लड़ते हैं जो शत्रु से ये,
देश की शान, हमारे जवान।

वे वीर जवान,
चिलचिलाती धूप में,
पसीना बहाकर, लड़ते हैं जो मन से ये,
दिल मे वतन को रखते जान जैसे।

वे वीर जवान,
गोलियाँ खाकर भी मजबूत हैं जो,
बंदूक कंधे पर, देश मन में,
लड़ते हैं युद्ध से ये।

वे वीर जवान,
मर कर भी जिंदा हैं जो,
कब्र में दफ़न होकर भी,
झंडा सीने में समाया,
उन सच्चे वीर जवानों को हमारा सलाम।
अद्विका तिवारी
कक्षा-8
डी0पी0एस0 ग्रेटर नोएडा

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