आर बी एस कुशवाह
हम यदि प्रकृति के नियमों का भलीभाँति अनुसरण करें तो उसे कभी भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं में कमी नहीं रहेगी। पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो धरती पर जीवन सुरक्षित रहेगा। यदि प्रकृति को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाए तो कदापि गलत नहीं होगा। पेड़ों पर प्रकृति निर्भर करती है। पेड़ लगाना प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन है और प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है। एक पेड़ लगाने से असंख्य जीव-जन्तुओं के जीवन का उद्धार होता है और उसका अपार पुण्य सहजता से हासिल होता है। एक तरह से पेड़ लगाने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। भारतीय संस्कृति में भी वृक्षारोपण को अति पुण्यदायी माना गया है। शास्त्रों में लिखा गया है कि एक पेड़ लगाने से एक यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। लोगों को पेड़-पौधों को लगाने के लिए आगे आना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में तीन पौधे जरूर लगाए।
चीन-मैक्सिको समेत कई देशों ने प्रदूषण से जंग में कई कदम उठाए हैं जो सफल रहे। हर घंटे प्रदूषण के आंकड़े लोगों को बताए जाते हैं। प्रदूषण फैला तो सरकारों पर भी जुर्माना लगाया गया।
बस-ट्रेन में सफर के लिए किराया घटाया गया। सड़कों पर कारों की संख्या पर पाबंदी लगाई । बीजिंग में कोयले से चलने वाले विद्युत संयंत्र बंद किए। 2013 में ही चीन ने एक्शन प्लान लागू किया। वाहनों में कन्वर्टर लगे जो विषैली गैस खींच लेते हैं। ‘कार के बिना एक दिन’ मुहिम चलाई गई और कुछ वाहनों पर सुबह से रात तक पाबंदी लगा दी गई। *2016 में नॉर्वे वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने वाला दुनिया का पहला देश बना था। फिलिपींस में ‘ग्रेजुएशन लिगेसी फॉर द एंवायरमेंट एक्ट’ नामक कानून के तहत स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए छात्रों को दस पौधे लगाना अनिवार्य है।
• निजी वाहनों की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट को तरजीह दें।
• बिजली से चलने वाले वाहनों का प्रयोग करें।
• सीएनजी से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल करें।
• जहां संभव हो बॉयो डीजल का प्रयोग करें।
• अपने बगीचे और सार्वजनिक स्थानों पर ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाएं।
• पानी का किफायत से उपयोग करें।
• पवन उर्जा, सौर उर्जा और जल उर्जा से चलने वाले उपकरणों को तरजीह दें।
• बिजली से चलने वाले उपकरणों को जितनी आवश्यकता हो, उतना ही इस्तेमाल करें।
• एयर कंडीशन और इस प्रकार की चीजों का कम से कम इस्तेमाल करें, क्योंकि इससे क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस उत्सर्जित होती है, जो वायुमंडल की ओजोन परत को काफी नुकसान पहुंचाती है।
• नदियों और अन्य जल स्रोतों को प्रदूषित न करें, उनमें कचरा न डालें।
• पॉलीथीन का इस्तेमाल बंद करें। इसकी जगह ईको-फ्रेंडली उत्पाद (कागज के थैले आदि) प्रयोग में लाएं।
• कूड़े को कूड़ेदान में ही फेंकें।
• ‘थ्री आर’ व्यवस्था- रिड्यूस (पर्यावरण के लिए हानिकारक चीजों का इस्तेमाल कम करें), रियूज (चीजों को एक बार की बजाय कई बार इस्तेमाल करें) और रिसाइकल – को बढ़ावा दें।
• एक से ज्यादा व्यक्तियों को एक ही इलाके में जाना (जैसे ऑफिस या किसी कार्यक्रम में) हो तो अलग-अलग वाहनों का इस्तेमाल करने की बजाय सामूहिक रूप से जाएं।
• पटाखे को बाय-बाय कहें। इससे ध्वनि और वायु प्रदूषण दोनों कम होगा।
• लाउडस्पीकर का इस्तेमाल न करें।
• गैर-जरूरी स्ट्रीट लाइट बंद कर ‘लाइट पॉल्यूषण’ कम कर सकते हैं।
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।