कश्मीर पर बात करते हुए उन्होंने उस अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल को भी याद किया, जिसका मजहब इस्लाम न होने के कारण ISIS ने उसका सिर कलम कर दिया था, लेकिन फिर भी उसके आखिरी शब्द थे- “मेरे पिता एक यहूदी थे, मेरी माता एक यहूदी थी और मैं भी एक यहूदी ही हूँ।”
इस दौरान अपनी तुलना डेनियल पर्ल से करते हुए सुनंदा ने उनके आखिरी शब्दों को अपनी स्थिति बयान करने के लिए इस्तेमाल किया और कहा, “मेरे पिता एक कश्मीरी हैं, मेरी माता कश्मीरी हिंदू हैं और मैं भी एक कश्मीरी हिंदू ही हूँ। ”
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इस बैठक में आपबीती सुनाते हुए भारतीय स्तंभकार ने दावा किया कि कश्मीर में उनका और उनके लोगों का पूरा जीवन कट्टरपंथ इस्लाम के कारण बर्बाद कर दिया गया। वे इस दौरान गिरिजा टिक्कू जैसी औरतों का भी जिक्र करती नजर आईं, जिनका अपहरण करके क्रूरता के साथ मार दिया। जिनके साथ सामूहिक बलात्कार हुए और जिन्हें टुकड़ों में काटकर फेंक दिया गया। उन्होंने बीके गंजू जैसे लोगों के बारे में भी बात की। जिन्हें अपने पड़ोसियों पर विश्वास करने के बदले सिर्फ़ विश्वासघात मिला। जिन्हें कंटेनर में ही गोली मार दी गई और उनकी पत्नी को खून से सने चावल (वो भी पति के ही खून से सने) खाने को मजबूर किया गया।
सुनंदा द्वारा यूएस कॉन्ग्रेस की बैठक में कही गई इन बातों के लिए उन्हें खूब सराहा गया था। स्वयं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनके वीडियो को शेयर कर उन्हें शाबाशी दी थी। उन्होंने लिखा था कि ये वो आवाज है, जो सुनी जानी चाहिए।
मुख्य संपादक, उगता भारत