बार एसोसिएशन की वोटर लिस्ट से मेरा नाम हटाया जाना दुखद : डीसी पोद्दार

जमशेदपुर। वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में ख्याति प्राप्त यहां के श्री देसी पोद्दार का कहना है कि मेरा बिहार स्टेट बार काउंसिल के द्वारा लाइसेंस सन 1999 में निर्गत किया गया था । उसी वर्ष सन 1999 में ही मैंने डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ( डीबीए ) की सदस्यता ग्रहण की । स्टेट बार कौंसिल से प्राप्त सर्टिफिकेट के आधार पर ही डीबीए की सदस्यता प्राप्त की जा सकती है

उगता भारत के साथ एक विशेष बातचीत में श्री पोद्दार ने कहा कि उसके बाद मैंने अनेकों बार डीबीए के चुनाव में भाग लिया है , अनेकों बार वोट डाले हैं

अब वोटर लिस्ट से मेरा नाम हटाया जाना अत्यंत दुखद है ।

उधर चुनाव संचालन समिति के लोगों का कहना है कि बिहार बार कौंसिल से झारखंड बार काउंसिल के नाम ट्रांसफर नहीं हुआ है। इस पर श्री पोद्दार का कहना है कि गत झारखंड प्रेस विज्ञप्ति डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के चुनाव होने को है मेरा बिहार स्टेट बार काउंसिल के द्वारा लाइसेंस निर्गत किया गया था। 1999 में और उसी वर्ष ही मैंने डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन डीबीए की सदस्यता ग्रहण की विधि चौकी बार कौंसिल से प्राप्त है ।सर्टिफिकेट के आधार पर ही डीबीएसए सदस्यता प्राप्त की जा सकती है। उसके बाद मैंने अनेकों बार डीडीए के चुनाव में भाग लिया है अनेकों बार वोट डाले हैं ।अब वोटर लिस्ट से मेरा नाम हटाया जाना अत्यंत दुखद है । चुनाव संचालन समिति के लोगों का कहना है कि बिहार बार कौंसिल से झारखंड बार काउंसिल में नाम ट्रांसफर नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि विगत समय में जब-जब डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन का चुनाव हुआ है मुझे वोट देने दिया गया था। गत झारखंड बार काउंसिल के चुनाव में वोट देने से वंचित रखा गया झारखंड बार काउंसिल बनने के बाद नाम ट्रांसफर करवाने का काम डीबीए के पदाधिकारियों का होना चाहिए । कुछ फीस वगैरह देने की बात भी कही जा रही है , जो कि गलत है फिर भी मैं फीस देने को भी तत्पर रहा हूं ।यह दुखद है कि मेरा नाम ट्रांसफर करवाने का काम डीबीए ने नही किया ।

श्री पोद्दार ने कहा कि झारखंड बार काउंसिल बनने के बाद बिहार स्टेट बार काउंसिल से झारखंड स्टेट बार काउंसिल में नाम ट्रांसफर करवाने का काम सभी लोगों का झारखंड स्टेट बार काउंसिल के द्वारा किया जाना चाहिए था । खास बात यह है कि मैं डीबीए का सदस्य बना ।डीबीए का चुनाव है इसमें वोट डालने से वंचित किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है । स्टेट बार काउंसिल के चुनाव के समय वंचित किया जाना भी दुखद है ।

डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के जो मेंबर हैं डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के चुनाव में भाग नहीं ले सकते , यह कहां का न्याय है ? इस पर गौर किया जाना चाहिए ।

ऐसे हालात में संबंधित पदाधिकारियों को चाहिए कि चुनाव को रद्द करें जब तक सारे लोगों का नाम सही तरीके से वोटर लिस्ट में नहीं आता है तब तक चुनाव कराया जाना गलत होगा । उन्होंने बताया कि मैं नियमित एडवोकेट हूं। कुछ लोग एनपीए मतलब नॉन प्रैक्टिसिंग एडवोकेट के नाम से भी अलग करने की बात करते हैं।जबकि मैं लगातार अपने टेबल पर बैठता हूं ।मेरा नया कोर्ट में DBA बिल्डिंग में फर्स्ट फ्लोर पर 47 नंबर टेबल है ।

उगता भारत के वरिष्ठ सह संपादक श्रीनिवास आर्य के साथ बातचीत में श्री पोद्दार ने कहा कि मुझे वोट देने से इसलिए वंचित रखा गया है जबकि मैं इस बार चुनाव में खड़ा होना चाहता था। इस प्रकार मेरे साथ काफी अन्याय हुआ है और ऐसे अनेक एडवोकेट हैं जिनके साथ इस प्रकार का अन्याय हुआ है इस चुनाव को रद्द कर देना ही न्याय हित में होगा ।

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