पुलिस को ज़िंदा जलाने की कोशिश, जारी हुए दो वीडियो (साभार: ट्विटर)नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन के नाम पर गुंडई हो रही है। जान लेने पर उतारू उन्मादी भीड़ को देखकर यह किसी भी तरह से नहीं लगता कि यह कोई विरोध-प्रदर्शन है। विरोध में शामिल इन लोगों को दंगाई न कहा जाए तो भला और क्या कहा जाए। इस उग्र भीड़ के इरादे इतने ख़ौफ़नाक हैं कि इसका अंदाज़ा लगाना लगभग असंभव ही है।
दरअसल, मेरठ पुलिस ने दंगाइयो के सिर पर ख़ून सवार होने से जुड़े दो ऐसे वीडियो जारी किए हैं, जिसमें यह साफ़तौर पर देखा जा सकता है कि वो किस तरह से दंगे के दौरान 30 पुलिसकर्मियों को ज़िंदा जलाने की कोशिश में थे। इन वीडियो को देखकर आप ख़ुद इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन के नाम पर दंगाई किस तरह से अपने ख़ौफ़नाक इरादों को अंजाम देने की फ़िराक में था, लेकिन वक़्त रहते उन्हें अपने इरादों में क़ामयाब होने से रोक लिया गया और सभी पुलिसकर्मियों को सुरक्षित बचा लिया गया।
मैडम प्रियंका वाडरा के नेतृत्व में कांग्रेस इन्हीं राष्ट्रविरोधी लोगों का केस लड़ने के लिये चंदा इकट्ठा कर रही है।
ख़बर के अनुसार, एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि घटना थाना लिसाड़ी की है, जब 20 दिसंबर (शुक्रवार) को जुमे की नमाज के लिए पुलिस और आरएएफ की ड्यूटी लगी हुई थी। उन्होंने बताया कि क़रीब 30 पुलिसकर्मी एक दुकान में बैठे हुए थे, तभी एक षणयंत्र के तहत उपद्रवियों ने उन्हें इस दुकान के अंदर बंद कर दिया और फिर उन्हें ज़िंदा जलाने के मक़सद से दुकान को आग लगा दी।
दरअसल, 20 दिसंबर के दंगे की इस घटना की सूचना जब एसएसपी को लगी थी तो वो बिना देरी किए अपनी फ़ोर्स के साथ घटना-स्थल पर पहुँचे। वहाँ उपद्रवियों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी, इसी गोलीबारी में आरएएफ के दो जवान उपद्रवियों की गोली का निशाना बन गए। कड़ी मशक्कत के बाद दुकान के अंदर बंद पुलिस की टीम को आग से बचाया जा सका। इस गंभीर मामले पर मुक़दमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई जारी है। बता दें कि इस मामले में पुलिस ने 13 मुकदमें दर्ज कर क़रीब 148 उपद्रवियों को नामजद किया और 500 से अधिक लोग अज्ञात हैं। पुलिस ने दंगे में शामिल उपद्रवियों की फोटो और वीडियो के आधार पर उनकी पहचान की है। साथ ही दंगाइयों के पोस्टर्स भी शहर भर में लगाए गए हैं।