नई दिल्ली । प्रख्यात विद्वान और पदम श्री से सम्मानित लेखक एवं कवि डॉ श्याम सिंह शशि का कहना है कि ‘ राष्ट्र प्रथम ‘ की भावना को स्थापित करना समय की आवश्यकता है । उन्होंने कहा कि हमारे देश की यह प्राचीन और अनोखी परंपरा रही है कि देश के लिए योग्यतम संतान को पिता स्वेच्छा से समर्पित करता था ।
उन्होंने कहा कि योग्यतम संतान को समाज को देने के पीछे का उद्देश्य यही होता था कि समाज की मान्य परंपराएं स्थापित रहे और किसी के भी अधिकारों का अतिक्रमण करने का दुस्साहस कोई भी व्यक्ति न कर पाए । डॉ शशि ने कहा कि ऐसा तभी संभव है जब देश की व्यवस्था के रखवाले योग्यतम लोग होंगे। डॉ शशि ने कहा कि देश में लोकतंत्र तभी स्थापित हुआ माना जाएगा जब योग्यतम व्यक्ति को हम अपना प्रतिनिधि बनाने में सफल हो जाएंगे।
उन्होंने ‘ उगता भारत ‘ के सह संपादक श्रीनिवास आर्य के साथ एक बातचीत में कहा कि लोकतंत्र योग्यतम व्यक्ति को आगे लाने ,की सबसे बेहतरीन शासन व्यवस्था है । लेकिन दुर्भाग्य से भारत वर्ष में अब अयोग्यतम लोगों में से योग्य व्यक्ति छांटने के लिए लोकतंत्र को मजबूर कर दिया गया है । जबकि हमारे संविधान निर्माताओं की ऐसी कोई सोच नहीं थी। समय आ गया है जब हमें अपने देश के संविधान की मूल भावना का सम्मान करते हुए अपनी प्राचीन परंपरा को आगे लाकर स्थापित करना चाहिए।
डॉ श्याम सिंह शशि ने कहा कि राष्ट्रप्रेम की भावना को प्राथमिकता देने वाले उत्कृष्ट साहित्य का निर्माण करना लेखकों के लिए अब आवश्यक हो गया है। क्योंकि ऐसे उत्कृष्ट साहित्य लेखन के माध्यम से ही आज की युवा पीढ़ी में राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव जागृत किया जा सकता है।
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