राहुल गांधी द्वारा सावरकर के बारे में दिए गए बयान को लेकर शिवसेना के कान खड़े हो गये हैं । शिवसेना ने राहुल गांधी के सावरकर संबंधी बयान पर जिस प्रकार अपनी आपत्ति व्यक्त की है उससे स्पष्ट हो रहा है कि यदि राहुल गांधी अपनी बात पर कायम रहे तो महाराष्ट्र में बनी नई सरकार के लिए भी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं ।
ज्ञात रहे कि राहुल गांधी ने जब शिवसेना के लिए हिन्दुत्व के हीरो सावरकर की दुहाई देते हुए कहा कि वे ‘रेप इन इंडिया’ वाले अपने बयान पर माफी नहीं मांगेगे क्योंकि उनका नाम राहुल सावरकर नहीं, राहुल गांधी है. इस बयान से शिवसेना तिलमिला गई है. आखिर ये शिवसेना के उस नायक का अपमान था, जिसके नाम पर पार्टी वर्षों से सियासत करती आई है.
इस वक्त महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी सत्ता में साझीदार हैं. राहुल गांधी ने अपनी साझीदार शिवसेना के आइकन पर उस मुद्दे को लेकर हमला बोला जो शिवसेना की दुखती रग रही है. राहुल का इशारा हिंदूवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर की ओर से 14 नवंबर, 1913 को ब्रिटिश सरकार को कथित रूप से लिखे गए माफीनामे की तरफ था, जिसे उन्होंने अंडमान की सेलुलर जेल में कैद रहने के दौरान लिखा था. रेप पर दिए गए बयान को लेकर बीजेपी की ओर से माफी की मांग पर राहुल ने शनिवार को कहा था कि उनका नाम राहुल सावरकर नहीं है, राहुल गांधी है और वे मर जाएंगे पर कभी माफी नहीं मांगेंगे.
‘सावरकर आज भी देश के नायक’
राहुल के बयान ने शिवसेना को असहज कर दिया है. संजय राउत ने कहा कि राहुल का बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और सावरकर का बलिदान समझने के लिए राहुल को कांग्रेस नेता कुछ किताबें गिफ्ट करें. संजय राउत ने मराठी में कहा, “हम पंडित नेहरू, महात्मा गांधी को भी मानते हैं, आप वीर सावरकर का अपमान ना करें, बुद्धिमान लोगों को ज्यादा बताने की जरूरत नहीं होती.” दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि अगर आज भी आप वीर सावरकर का नाम लेते हैं तो देश के युवा उत्तेजित और उद्वेलित हो जाते हैं, आज भी सावरकार देश के नायक हैं और आगे भी नायक बने रहेंगे, वीर सावरकर हमारे देश का गर्व हैं.”
दोहरी तलवार पर शिवसेना
महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना की दोस्ती देश की सियासत का एक अनूठा प्रयोग है. विचारधारा के मामले में दो धुव्र पर रही दो पार्टियां महाराष्ट्र में सत्ता के लिए एक साथ आई हैं. इन दोनों पार्टियों के बीच सावरकर वो बिन्दु हैं, जहां आकर दोनों की राजनीति पूरी तरह एक-दूसरे के खिलाफ हो जाती है. कांग्रेस के लिए सावरकर वैचारिक रूप से अछूत हैं, तो शिवसेना की सियासत ही सावरकर और हिन्दुत्व की विचारधारा पर टिकी है.
नागरिकता बिल पर बैलेंस पॉलिटिक्स
महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के बाद शिवसेना की पहली परीक्षा नागरिकता संशोधन बिल पर हुई थी. लोकसभा में इस बिल पर वोटिंग के दौरान शिवसेना ने कांग्रेस को नाराज करने का जोखिम उठाते हुए बिल के समर्थन में वोट किया. शिवसेना के इस रुख से कांग्रेस के रणनीतिकार हैरान थे. खुद सोनिया गांधी भी शिवसेना के इस रुख से नाखुश दिखीं. कांग्रेस की नाराजगी का संदेश मिलते ही शिवसेना बैकफुट पर आ गई. पार्टी ने राज्यसभा में बिल के पक्ष में वोटिंग करने से इनकार कर दिया. शिवसेना के सामने अब विचारधारा का प्रश्न था. पार्टी ने संतुलन बनाते हुए राज्यसभा में इस बिल पर वोटिंग के दौरान सदन से वॉक आउट कर दिया. इस तरह शिवसेना यहां से सुरक्षित निकल गई.
हालांकि, जब राहुल गांधी ने सावरकर के नाम पर बीजेपी पर हमला बोला तो शिवसेना के लिए चुप बैठना मुमकिन नहीं रह गया. क्योंकि शिवसेना के लिए ये मूल विचारधारा का प्रश्न था. पार्टी ने सधे शब्दों में ही सही लेकिन राहुल के बयान की आलोचना की. संजय राउत ने पूर्व पीएम वाजपेयी का जिक्र कर सावरकर की महानता फिर से साबित कर दी और कांग्रेस तक शिवसेना का संदेश पहुंचा दिया. उन्होंने ट्वीट किया, “सावरकर माने तेज, सावरकर माने त्याग, सावरकर माने तप, सावरकर माने तत्व.”
बीजेपी से अलग दिखने की कोशिश
संजय राउत ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए भी बीजेपी से अलग साबित करने की कोशिश की. राउत ने ट्वीट किया, “कांग्रेस के कई नेता आजादी के लिए लड़े और जेल में रहे. वो चाहे पंडित नेहरू हों, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, हम सभी की इज्जत करते हैं और आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को स्वीकार करते हैं, बीजेपी सबका सम्मान न करती हो, लेकिन हम करते हैं.” आगे राउत सीधे राहुल की ओर मुखातिब होकर कहा कि आपको भी वीर सावरकर के योगदान को याद करना चाहिए, आप उनकी बेइज्जती नहीं कर सकते हैं और कोई भी ऐसा नहीं कर सकता है, वीर सावरकर अभी भी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं, ये प्रेरणा हमें संघर्ष करने में, लड़ने में मदद करती है