दूसरा निठारी कांड : जिलाधिकारी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का भी हो रहा है खुला उल्लंघन
माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा जनहित में सरकारी भूमि और तालाबों के अवैध कब्जों को तत्काल हटाने का निर्देश सरकार को या उच्चाधिकारियों को कई बार दिया गया है । लेकिन विलासितापूर्ण जीवन जीने के अभ्यासी बन गए उच्चाधिकारी भ्रष्टाचार में डूबे होने के कारण इन आदेशों की अवहेलना घर बैठे बैठे करते रहते हैं । उन्हें अपने चढ़ावे से मतलब है, जनहित से कोई मतलब नहीं है । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एक सप्ताह पूर्व भी माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा शासन प्रशासन को यह निर्देश दिए गए हैं कि 1951 से पहले जिस भूमि पर तालाब थे उन्हें उसी स्थिति में स्थापित कराया जाए व अवैध अतिक्रमणकारियों को तत्काल हटाया जाए।
माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा जिलाधिकारी को उक्त आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं , परंतु शासन प्रशासन अवैध अतिक्रमणकारियों पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। जिससे उच्च न्यायालय के आदेश की मखोल बनकर रह गए हैं।
यद्यपि यह भी एक दुखद तथ्य है कि नोएडा के ग्रामों का जल स्तर बड़ी तेजी से गिर रहा है । माननीय उच्च न्यायालय ने तालाबों की भूमि को मुक्त कराने का निर्देश इसीलिए दिया था कि यहां पर भूगर्भीय जलस्तर को ठीक बनाए रखा जा सके । लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के निकम्मेपन और कार्य के प्रति लापरवाही के चलते माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना खुल्लम-खुल्ला हो रही है । गांव के ही रहने वाले नरेंद्र शर्मा ही हमें बताते हैं कि माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों की बार-बार उच्च अधिकारियों को याद दिलाई गई है परंतु उनके कानों पर जूं नहीं रेंगी । जिससे पता चलता है कि इन लोगों की सेहत पर माननीय उच्च न्यायालय के न्यायालय के आदेश का भी कोई असर नहीं पड़ने वाला।
अधिकारियों के इस निकम्मेपन का परिणाम नोएडा की आने वाली संतति को भुगतना पड़ेगा। जब यहां पर जल स्तर इतना नीचे चला जाएगा कि भूगर्भीय जल को लोग तरस जाएंगे । आज जब काम करने की आवश्यकता है तो उस समय सरकारी जल स्रोतों को समाप्त करने के लिए सरकारी अधिकारी और कर्मचारी मिलकर भूगर्भीय जल स्रोतों पर लोगों के अवैध कब्जे करवा रहे हैं । कल को लोगों को यहां मरने के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण और प्रशासनिक उच्च अधिकारी यूं ही छोड़ देंगे। इसका मतलब है कि जनता के प्राणों की और सेहत की कोई परवाह नोएडा विकास प्राधिकरण और प्रशासनिक अधिकारियों के कर्मचारियों को रत्ती भर भी नहीं है।
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