दूसरा निठारी कांड : भूमाफियाओं ने कब्जा ली करोड़ों की जमीन प्रशासन रहा मौन
भू माफियाओं ने कब्जा ली करोड़ों की जमीन प्रशासन रहा मौन
यदि ग्राम निठारी किए उपरोक्त वर्णित खसरा नंबरों के कुल क्षेत्रफल का योग किया जाए तो 13300 वर्ग मीटर रकबा बनता है। इस गांव का सर्किल रेट ₹20000 प्रति वर्ग मीटर है । जिससे पता चलता है कि 26 करोड़ 60 लाख कीमत की सरकारी भूमि पर प्रशासनिक व प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों की सहमति से लोगों ने अवैध अतिक्रमण कर लिया है। इसमें ग्राम की प्रधान रही विमलेश कुमारी और उनके पति राम अवतार शास्त्री का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। जिनकी कोठी खसरा नंबर 241 में स्थित है।
इतने बड़े एरिया पर जिस प्रकार अवैधानिक रूप से लोगों ने कब्जा किया है उससे बहुत बड़े घोटाले की जानकारी मिलती है। जिसे इन लोगों ने प्रशासन की नाक तले रहकर प्रशासन की सहमति और वरदहस्त के चलते बड़े आराम से संपन्न कर लिया है। यदि गांव के सीधे-साधे लोग मुख्यमंत्री से मिले या उनको जाकर लेटर दिया तो उस शिकायती पत्र का भी हश्र वही हुआ जिसकी उम्मीद थी अर्थात भू माफिया लोगों के विरुद्ध कुछ भी नहीं हुआ। क्योंकि प्रशासन में उनके अपने लोग बैठे हुए हैं ।
भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए अधिकारी किसी भी भूमाफिया के विरुद्ध कुछ भी करने की स्थिति में नहीं हैं । क्योंकि भूमाफिया किस्म के लोगों ने प्रशासन में बैठे इन लोगों के मुंह बंद कर रखा है । लोगों का कहना भी है कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के मुंह पर चांदी के जूते मारो और सरकारी संपत्ति पर कब्जा करो ।
वैसे यदि बारीकी से देखा जाए तो राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों की भी सहमति इस अवैधानिक कार्य में पूरी तरह रही है । क्योंकि उन्हें अपनी संपत्ति की पूरी जानकारी होती है और क्षेत्रीय लेखपाल को तो एक एक इंच का पता होता है। परंतु जो भी लेखपाल यहां पर तैनात होता है वही अवैध अतिक्रमणकारियों से अपना महीना बांध लेता है और मौज करता है। आज तक एक भी लेखपाल राजस्व अधिकारियों के द्वारा सस्पेंड नहीं किया गया । क्योंकि वह अवैध अतिक्रमणकारियों से महीना लेकर चढ़ावा अपने बड़े अधिकारियों पर भी चढ़ाता है । जिसे वह स्पष्ट रूप से गांव के लोगों से भी कहता है कि पैसा ऊपर तक जाता है , इसलिए आप निश्चिंत रहें , मैं जो करूंगा उसे कोई भी आकर देखने वाला नहीं है। एक अदने से कर्मचारी लेखपाल के द्वारा अपने अधिकारियों को जब घर बैठे भेंट चढ़ा दी जाती है तो अरबों की सरकारी संपत्ति पर अवैध अतिक्रमण कारी लोग बड़ी आसानी से कब्जा कर लेते हैं।
इस प्रकार इस सारे खेल में लेखपाल व कानूनगो के माध्यम से राजस्व विभाग के उच्च अधिकारी तक सम्मिलित हो जाते हैं । जिन के सामने यदि कोई काश्तकार तहसील दिवस में या किसी और दूसरे मौके पर या उनके कार्यालय में जाकर ऐसे लोगों के विरुद्ध शिकायत भी करता है तो भी कुछ भी नहीं हो पाता।
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।