बबराला । ( वेद वसु आर्य ) आर्य समाज बबराला के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश जी ने कहा कि जीवन जगत की सेवा और ईश्वर की भक्ति के लिए है ।
उन्होंने कहा कि बड़े शुभ संस्कारों के पश्चात मानव देह हमें मिलती है । जिसे हमें जगत के प्राणियों के कल्याण के लिए लगाना चाहिए । उन्होंने कहा कि यह शुभ संस्कार तभी विकसित होता है जब मानव स्वभाविक रूप से ईश्वर की भक्ति में विश्वास रखता है । उन्होंने कहा कि ईश्वर की आज्ञा का यथावत पालन करना ही ईश्वर की भक्ति है । जो मनुष्य संसार में रहकर अपने अंतरात्मा के अनुकूल न चलकर टेढ़ी चाल चलते हैं , उनका चिंतन दूषित हो जाता है। चाल बिगड़ जाती है । अंत में हाल भी बिगड़ जाता है। संसार में वही व्यक्ति अपनी चाल ढाल सीधी रखने में सक्षम हो पाता है जो ईश्वर की आज्ञा का यथावत पालन करता है । ऐसे व्यक्ति अंतःकरण में उठने वाले शुभ विचारों को पकड़ पकड़ कर जगत के कल्याण के लिए जीवन को समर्पित करते रहते हैं । जिससे संसार की गति सही दिशा में चलती रहती है ।
उन्होंने कहा कि आर्य समाज महर्षि दयानंद के सपनों के भारत के निर्माण के लिए कृतसंकल्प है । क्योंकि उन्ही की रीति नीति को अपनाकर भारत फिर से विश्व गुरु बन सकता है । उन्होंने कहा कि भारत को आज भी संसार सम्मान देता है क्योंकि संसार यह समझता है की वास्तविक आत्मिक शांति केवल और केवल भारत के वेदों और उपनिषदों में ही निहित है। जिसके लिए हमें आज भी महान कार्य करने की आवश्यकता है।
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