बबराला । ( ज्योति बसु आर्य ) यहां पर आर्य समाज बबराला की ओर से आयोजित किए गए आर्य महासम्मेलन में बोलते हुए आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान शिवकुमार शास्त्री ने कहा कि वेद की शिक्षाएं आज ही नहीं अपितु सृष्टि पर्यंत विश्व का मार्गदर्शन करने में सक्षम हैं , क्योंकि वेद अपौरूषेय है और ईश्वर प्रदत्त होने के कारण इसकी शिक्षाएं मानव मात्र के लिए ही नहीं अपितु प्राणी मात्र के कल्याण के लिए हैं । वेद की शिक्षा में सांप्रदायिकता , संकीर्णता , क्षेत्रवाद , प्रांतवाद , भाषावाद आदि का कोई झमेला नहीं है । संपूर्ण मानवता के उद्धार हेतु ईश्वर की ओर से दिए गए वेद रूपी संविधान को संसार को अपनाकर आगे बढ़ना होगा।
श्री शास्त्री ने कहा कि वेद में जिस राष्ट्र की परिकल्पना की गई है उसमें सबका साथ सबका विकास का वास्तविक समायोजन किया गया है । इतना ही नहीं इससे भी बढ़कर सबकी उन्नति में अपनी ओर से भी सहायक होने का व्यक्ति के लिए निर्देश दिया गया है । जिससे मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाकर व्यक्ति व्यक्ति के प्रति सहयोगी भाव से जीवन जीता है । सहयोग व सद्भावना आदि के गुणों से विकसित मानवता को अपनाकर ऐसे लोग राष्ट्र व समाज का कल्याण कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद की शिक्षाएं वेदों के इन्हीं उपदेशों और आदेशों को फैलाने के लिए हैं । वेद का राष्ट्रवाद संपूर्ण मानवता को समाविष्ट कर आगे बढ़ने की चिंतन शैली में विश्वास रखता है । यदि हम वेद की शिक्षाओं और महर्षि दयानंद के सपनों का भारत बनाना चाहते हैं तो वेद के राष्ट्रवाद को अर्थात मानवतावाद को अपनाना समय की आवश्यकता है।