आर्य समाज इंदिरापुरम का वार्षिकोत्सव संपन्न: यज्ञ , दान और तप से ही मनुष्य का होता है कल्याण: आचार्य जयेंद्र
गाजियाबाद । विगत 3 नवम्बर को आर्य समाज इन्दिरापुरम ने अपना सातवाँ भव्य वार्षिक उत्सव हर्षोल्लास के साथ स्वर्ण जयंती पार्क इन्दिरापुरम गाजियाबाद में आर्य जगत के प्रसिद्ध विद्वान डाक्टर वीर पाल विद्यालंकार के पावन सानिध्य में सम्पन्न किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए आचार्य डॉ जयेन्द्र (प्राचार्य आर्ष गुरूकुल,नौयडा) ने कहा कि मानव जीवन का कल्याण यज्ञ दान और तब से ही संभव है । आचार्य श्री ने कहा कि यज्ञ के माध्यम से ही हम पर्यावरण की शुद्धि कर सकते हैं और संसार में सुख शांति का साम्राज्य भी स्थापित कर सकते है । उन्होंने कहा कि माता पिता के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते हुए संसार के उन सभी बड़े बुजुर्गों और परिवारीजनों के प्रति भी हमें कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए जिन्होंने हमारे जीवन के निर्माण करने में अपना सर्वस्व समर्पित किया है या किसी भी प्रकार से हमारा मार्ग प्रशस्त किया है ।
आचार्य जयेंद्र ने कहा कि जो लोग दूध मैं या खाने पीने की अन्य वस्तुओं में मिलावट करते हैं वह सबसे बड़े पापी हैं और जो वायु को प्रदूषित कर रहे हैं वह और भी बड़े पापी हैं । आचार्य श्री ने कहा कि कृतघ्नता संसार का सबसे बड़ा पाप है । भारत की संस्कृति कृतज्ञता ज्ञापित करने की संस्कृति है । यही कारण है कि हमारे यहां पर पंच महायज्ञ की परंपरा में माता पिता और गुरु के प्रति विशेष सम्मान रखने का भाव सिखाया जाता है । साथ ही बलिवैश्वदेव यज्ञ के माध्यम से सभी प्राणियों का जीवन रक्षक होने को मनुष्य अपना धर्म समझता है ।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत में महर्षि दयानंद के आगमन के पश्चात स्वतंत्रता आंदोलन में विशेष गति आई। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद ही पहले व्यक्ति थे ,जिन्होंने भारत में भारतीय दंड संहिता जैसे कानूनों को मानने से इनकार करने के लिए भारत के लोगों को प्रेरित किया । साथ ही उन्होंने लार्ड मैकाले की शिक्षा को अपनाने के प्रति भी लोगों को जागरूक किया । महर्षि दयानंद ने लोगों को भारतीय संस्कृति का पाठ पढ़ाया और नदियों की पवित्रता को बहाल करने की ओर भी विशेष कार्य किए। डॉ आर्य ने कहा कि स्वतंत्रता के उपरांत भारत की सरकार को लार्ड मैकाले की शिक्षा को बदलकर गुरुकुल शिक्षा पद्धति लागू करनी चाहिए थी , साथ ही नदियों के प्रति हमारे प्राचीन मूल्यों को अपनाने के लिए जनता को जागरूक करना चाहिए था । इसके अतिरिक्त वर्तमान न्याय प्रणाली को भी भारतीयता के अनुकूल करने की ओर कदम उठाने चाहिए थे।
इस अवसर पर कन्या गुरूकुल सोरखा,नोएडा व आर्ष गुरूकुल,सेक्टर 33 नोएडा के ब्रह्मचारी व ब्रह्मचारणियों ने बहुत ही सुन्दर रूप से चारो वेदो के चुने हुए वेदमंत्रो का पाठ किया। स्वर सम्राट् आचार्य अंकित उपाध्याय जी (रोहिणी दिल्ली) ने बहुत ही कर्ण प्रिय सुमधुर भजन प्रभु भक्ति देश भक्ति ओर ऋषि देव दयानन्द सरस्वती जी के भजन सुनाकर भाव विभोर कर दिया। महिला प्रकोष्ठ ने बिन पानी सब सून नाटिका की बहुत ही अद्धभुत सुन्दर प्रस्तुति देकर समाज को एक चेतावनी संदेश दिया।
आर्य समाज इन्दिरा पुरम महिला प्रकोष्ठ द्वारा गरीब परिवार के बच्चों को मंच पर लाना ओर उनसे समाज के नियम व नाटिका की प्रस्तुति प्रशंसनीय प्रयास था।
पतंजलि योग संस्थान की जिला प्रभारी श्रीमती कुमकुम राजपूत ने योग,खानपान द्वारा जीवन को कैसे रोग मुक्त बनाया जा सकता है?पर सुन्दर व शिक्षाप्रद प्रवचन दियें।
इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ आर के आर्य (निर्देशक स्वदेशी आयुर्वेद,हरिद्वार),श्रीमती मंजुला गुप्ता क्षेत्रीय निगम पार्षद,श्री प्रदीप गुप्ता जी अध्यक्ष व्यापार समिति इन्दिरा पुरम व राष्ट्रीय अध्यक्ष वैश्य अग्रवाल परिवार, आर्य केन्द्रीय सभा गाजियाबाद के प्रधान सत्यवीर चौधरी जी,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य व विभिन्न समाजों के पदाधिकारियों व सदस्यों ने कार्यक्रम में भाग लेकर कार्यक्रम की गरीमा व भव्यता को बढ़ाया। मंच का कुशल संचालन यशस्वी प्रधान विजय आर्य गर्ग ने किया। उन्होंने सभी आंगुतको व दान दाताओं का धन्यवाद किया।