हमारे देश में बहुदलीय शासन व्यवस्था देश के लिए बहुत ही खतरनाक सिद्ध हुई है । यहां पर कुकुरमुत्तों की भांति अनेकों राजनीतिक दल अस्तित्व में आए और देश को लूटने का ठेका लेकर कार्य करने लगे । ऐसे ही दलों में से एक दल समाजवादी पार्टी भी है । जो कहने के लिए तो समाजवादी है , परंतु इसके काम पूंजीवादी सोच को प्रकट करने वाले रहे हैं। जिस प्रकार समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं पर बड़े – बड़े घपले और घोटालों के आरोप लगे हैं , उनके दृष्टिगत यह नहीं माना जा सकता कि इस पार्टी का उद्देश्य वास्तव में उस समाजवाद की स्थापना करना है जिसमें सभी लोग समतामूलक समाज के एक सदस्य बन सकने की क्षमता रखते हों ।
अब इसी पार्टी के बारे में एडीआर की रिपोर्ट से पता चला है कि यह पार्टी देश की सभी क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों में सबसे अधिक धनी पार्टी है अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पूंजीवादी पार्टी है।
एडीआर अर्थात एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने वर्ष 2016 – 17 और 2017 – 18 के तथ्यों को प्रकट करते हुए स्पष्ट किया है कि समाजवादी पार्टी के पास सभी राजनीतिक दलों की कुल संपत्ति की 46 % संपत्ति है । निश्चय ही यह तथ्य अपने आप में चौंकाने वाला है । जो पार्टी समाजवाद की बात करती हो और किसी भी वर्ग , समुदाय या व्यक्ति विशेष को पूंजी संचय करने या पूंजी के क्षेत्र में सबसे आगे निकलने की समाज विरोधी प्रतियोगिता में पड़ने से रोकती हो , उसके पास इतनी बड़ी पूंजी होना शोक का विषय है ।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार समाजवादी पार्टी के पास कुल 583 करोड से भी अधिक की संपत्ति है ।
क्षेत्रीय दलों की सबसे धनी पार्टियों में दूसरा स्थान डीएमके का है । डीएमके के पास कुल 191.64 करोड़ की संपत्ति है । ये सभी क्षेत्रीय दलों की कुल संपत्ति का 15 प्रतिशत है । स्पष्ट है कि यह पार्टी समाजवादी पार्टी से बहुत पीछे है ।
डीएमके के पश्चात एआईएडीएमके का स्थान आता है । एआईएडीएमके के पास कुल 189.54 करोड़ की संपत्ति है । इन तीन पार्टियों के अतिरिक्त टीडीपी ऐसी चौथी पार्टी है, जिसके पास 100 करोड़ की संपत्ति है । इन चार पार्टियों के अतिरिक्त 8 दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों ने 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति बताई है । आम आदमी पार्टी का स्थान 13वां है ।उसने कुल 6 करोड़ से अधिक की संपत्ति की घोषणा की है ।
2016-17 में कुल 39 क्षेत्रीय पार्टियों ने अपनी संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा की थी। उस घोषणा के अनुसार इन सभी राजनीतिक दलों के पास कुल 1,267.81 करोड़ की संपत्ति थी । 2017-18 में कुल 41 क्षेत्रीय दलों ने अपनी संपत्ति के बारे में बताया। इनके पास कुल 1,320.06 करोड़ रुपए की संपत्ति थी ।
इन दो वर्षों में जेडीयू की संपत्ति में सबसे अधिक वृद्धि हुई । जेडीयू की संपत्ति तीन गुना बढ़ी है । जेडीयू की संपत्ति 3.46 करोड़ रुपए से बढ़कर 13.78 करोड़ रुपए हो गई । इसी दौरान टीआरएस की संपत्ति 14.49 से बढ़कर 29.04 और जेडीएस की संपत्ति 7.61 करोड़ रुपए से बढ़कर 15.44 करोड़ रुपए हो गई ।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार समाजवादी पार्टी की संपत्ति 2016-17 में 571 करोड़ रुपए थी , जो वर्ष 2017-18 में 2.13 प्रतिशत बढ़कर 583 करोड़ रुपए हो गई । एडीआर ने पिछले साल भी इसी तरह की रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में समाजवादी पार्टी की संपत्ति के 200 गुना बढ़ने का पता चला था. एडीआर ने 2011-2 से लेकर 2015-16 के बीच क्षेत्रीय दलों की संपत्ति की पड़ताल की थी । पता चला कि इस काल में समाजवादी पार्टी की कुल संपत्ति में लगभग 200 गुना की वृद्धि हुई थी । एआईएडीएमके भी इसमें आगे थी । इस काल में एआईएडीएमके की संपत्ति में 155 गुना की वृद्धि दर्ज की गई ।
2011-12 के चुनावों के समय समाजवादी पार्टी ने जब अपनी संपत्ति की घोषणा की थी तो उसने 212.86 करोड़ की अपनी कुल संपत्ति का विवरण प्रस्तुत किया था । जो 198 गुणा बढ़कर 2015-16 में बढ़कर 634.96 करोड़ हो गई । इसी प्रकार 2011-12 में एआईएडीएमके ने अपनी 88.21 करोड़ संपत्ति की जानकारी दी थी, जो 2015-16 में बढ़कर 224.87 करोड़ रुपए हो गई । स्कॉलर में शिवसेना की संपत्ति में 92% की वृद्धि हुई । . 2011-12 में शिवसेना के पास 20.59 करोड़ रुपए थे, जो 2015-16 में बढ़कर 39.568 करोड़ रुपए हो गए थे। इसी प्रकार 2016-17 में भी समाजवादी पार्टी सबसे धनी पार्टी थी । इस काल में समाजवादी पार्टी ने 82.76 करोड़ रुपए की कमाई की थी । यद्यपि इसी काल में पार्टी ने 147.10 करोड़ रुपए व्यय भी कर दिए । 2016-17 में कमाई से अधिक व्यय इसलिए हुआ क्योंकि उसी समय उत्तरप्रदेश के चुनाव हुए थे ।
समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में इस चुनाव में पानी की भांति पैसे को बहाया , परंतु लाख प्रयत्न करने के उपरांत भी यह पार्टी सत्ता में लौट नहीं सकी । यदि सत्ता में इस बार अखिलेश यादव लौट आते तो इस विषय में निश्चय ही उनकी पार्टी देश की राष्ट्रीय पार्टियों को भी पीछे छोड़ सकती थी । हमारे देश की राजनीतिक पार्टियों के पास धन एकत्र होने का सबसे बड़ा स्रोत है – लोगों से चंदा लेना । कुछ लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करना या सब्जबाग दिखाना कि यदि वह इतनी राशि पार्टी फंड में जमा कराते हैं तो उन्हें एमएलए या एमपी का टिकट हमारी पार्टी से मिल सकता है । जब कोई राजनीतिक दल किसी प्रदेश या देश में सत्ता पर अपना परचम लहराता है तो उस समय देश के बड़े-बड़े उद्योगपति और धनिक वर्ग के लोग राजनीति में आकर इन सत्ताधीशों के माध्यम से कुछ राजनीतिक लाभ उठाने की युक्तियां खोजते हैं । अपनी युक्तियों को सिरे चढ़ाने के लिए पार्टी फंड में दिल खोलकर पैसा देते हैं जिससे राजनीतिक पार्टियां रातों-रात धनी हो जाती हैं पार्टी फंड से भी अलग नेता फंड की भी व्यवस्था करने से कुछ स्वार्थी लोग चूकते नहीं हैं । वह पार्टी फंड में तो जमा करते ही हैं साथ ही अपने नेता को प्रसन्न करने के लिए उन्हें बड़ी ,- बड़ी कीमती गाड़ियां लाकर भेंटकर देते हैं या किसी और प्रकार से उन्हें उपकृत कर डालते हैं ।
इस समय ऐसे अनेकों लोग हैं जो देश की संसद के ऊपरी सदन अर्थात राज्यसभा में जाने के लिए अपनी युक्तियां भिड़ा रहे हैं । यह सुनकर आपको आश्चर्य होगा कि इस सदन में जाने के लिए लोग 100 करोड़ से 200 करोड़ तक व्यय करने को तत्पर बैठे हैं । समाजवादी पार्टी के साथ एक और भी त्रासदी है कि यह पार्टी प्रारंभ से ही गुंडे – बदमाश व भूमाफिया लोगों को संरक्षण और शरण देती आई है । इस प्रकार की अपराधिक प्रवृत्ति के यह सभी लोग पार्टी फंड और नेता फंड में मोटी धनराशि देने में चूकते नहीं हैं । क्योंकि उनके पास लूट का माल होता है । जिसमें से वह अपने नायक और अपनी पार्टी को प्रसन्न करने के लिए बड़ी धनराशि बड़ी सहजता से प्रदान कर देते हैं । ऐसा नहीं है कि यह बीमारी केवल समाजवादी पार्टी में ही है न्यूनाधिक रूप से भारत की सभी राजनीतिक पार्टियां इस प्रकार की बीमारी से ग्रस्त हैं। इसके उपरांत भी हम समाजवादी पार्टी के विषय में ही बात करनी चाहेंगे क्योंकि यह पार्टी समाजवाद की बात करती है अर्थात देश के आर्थिक संसाधनों पर देश के सभी निवासियों का समान रूप से अधिकार होने की बात कहती है इसके साथ अतिरिक्त यह पार्टी धन संचय करने या निर्धन वर्ग के लोगों के पेट को काट काट कर अपना पेट भरने की समाज विरोधी मानसिकता पर अंकुश लगाने की बात करती है इसके उपरांत भी इसका व्यवहारिक समाजवाद कुछ दूसरा ही है । जिसे हम ऊपरिलिखित तथ्यों के आलोक में भली प्रकार समझ सकते हैं ।
जिस देश के समाजवाद का आदर्श पूंजीवाद हो जाता है और जिस देश के राजनीतिक दलों का उद्देश्य लोकतंत्र को लूटतंत्र में परिवर्तित कर देना हो जाता है , उस देश के बारे में कुछ और कहा जाय या न कहा जाए , लेकिन यह राजनीतिक भविष्यवाणी तो अवश्य ही की जा सकती है कि उसका वर्तमान सुयोग्य और सुपात्र हाथों में नहीं है , इसलिए उसका भविष्य भी उज्जवल नहीं कहा जा सकता।