वेद को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने हेतु भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के लिए महर्षि दयानंद ब्रह्मा आश्रम गुरुकुल महाविद्यालय नरोरा द्वारा पारित प्रस्ताव

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प्रतिष्ठा में

माननीय नरेंद्र मोदी जी
प्रधानमंत्री भारत सरकार
नई दिल्ली

महोदय हम सबके लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि इस समय भारत वर्ष को आप जैसा संस्कृति प्रेमी , वेद भक्त और राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री मिला हुआ है।
जैसा कि आप स्वयं भी जानते हैं कि भारत के लिए प्राण ऊर्जा देने वाला कोई ग्रंथ यदि है तो वह वेद है। वेद सृष्टि का ईश्वर प्रदत्त आदि संविधान है । जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के आत्मविकास और आत्मोन्नति के सभी सूत्र दिए गए हैं और वह सभी विचार प्रकट किए गए हैं जिनसे विश्व शांति स्थापित होकर मानव जीवन अपने चरम विकास अर्थात मोक्ष पर पहुंच सकता है ।
दुर्भाग्यवश आपसे पहले की सरकारों ने वेदों की महिमा को समझते हुए उन्हें यथोचित सम्मान देने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया । उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारे आर्ष ग्रंथों की उपेक्षा की । फलस्वरूप वे वेदों को सृष्टि का आदि संविधान स्वीकार कर उन्हें भारत का राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की दिशा में कुछ भी नहीं कर पाए ।

अब जबकि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी भारत को स्वाभाविक रूप से हिंदूराष्ट्र कहने का तर्कसंगत साहस दिखा रहे हैं तो उसका अभिप्राय यही है कि भारत हिंदू – स्थान होने के कारण स्वाभाविक रूप से हिंदू राष्ट्र है । हमारा मानना है कि ऐसे में इस हिंदू राष्ट्र के पास उनका राष्ट्रीय ग्रंथ होना भी अनिवार्य है । यह सभा जहां आरएसएस प्रमुख के उक्त तर्कसंगत कथन का समर्थन करती है वहीं आप से यह अनुरोध करती है कि वेदों को भारत का राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने के लिए आप अपने स्तर पर पहल करें । भारत की राष्ट्र भक्त , वेद भक्त , गौभक्त , संस्कृति भक्त और धर्मभक्त जनता आपके इस कार्य का हृदय से स्वागत और अभिनंदन करेगी और हम सभी आपके इस महान उपकार के सदैव ऋणी होंगे ।

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