जमशेदपुर । गंगा महासभा के मार्गदर्शक रह चुके स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ( प्रोफेसर जी डी अग्रवाल ) को आज उनकी प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर गंगा महासभा के अनेक लोगों ने श्रद्धांजलि स्वरुप पुष्प अर्पित किए ।श्रद्धांजलि सभा का आयोजन डॉ श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान बिष्टुपुर जमशेदपुर में किया गया ।इस अवसर पर भारत के प्रसिद्ध नदी वैज्ञानिक दिनेश कुमार मिश्र जी ने स्वामी सानंद पर बोलते हुए कहा कि उनकी स्वामी सानंद जी से सन 1992 में भेंट हुई थी । तभी से मैंने उनके व्यक्तित्व के कई स्वरूपों को देखा और गंगा रमा भारती के प्रति उनके समर्पण भाव को देखकर मैं अभिभूत हो गया।उन्होंने कई संस्मरण भरी घटनाओं का जिक्र किया । उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी में जब स्वामी सानंद जी अनशन पर बैठे थे तब वह उनसे मिलने के लिए उत्तरकाशी भी गए थे , मैंने देखा था कि वह अपने निश्चय से रंच मात्र भी हट नियर डिगने को तैयार नहीं थे । जिससे उनकी संकल्प शक्ति का ज्ञान होता है ।संस्थान के महासचिव श्री हरि बल्लभ सिंह आरसी जी ने कहा कि गत वर्ष 11 अक्टूबर के दिन स्वामी सानंद ने गंगा जी की रक्षा से संबंधित मांगों को लेकर 111 दिन के उपवास के पश्चात अपना बलिदान दे दिया । उन्होंने कहा कि स्वामी जी महाराज का यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए हमें और भी अधिक संकल्प शक्ति के साथ उठ खड़ा होना होगा और उनके सपनों को साकार करना होगा ।गंगा महासभा बिहार – झारखंड के उपाध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने कहा कि स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद जी गंगा महासभा के मार्गदर्शक रहे हैं । मां गंगा की बांधों की जकड़न से पूर्णतया मुक्ति और गंगा एक्ट की मांग को लेकर 111 दिन के अनशन के बाद उन्होंने अपने प्राण गत वर्ष 11 अक्टूबर के दिन ही त्याग दिए थे । श्री पोद्दार ने कहा कि स्वामी जी महाराज का सपना गंगा को विमल बनाना था जिससे इस पवित्र नदी की पवित्रता और सार्थकता बनी रहे ।उन्होंने अनेक बार मां गंगा की रक्षा के लिए अनशन किए और अनेक बांधों को रुकवाने का भी काम किया ।
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।