विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए वैदिक विदुषी विमलेश आर्या बंसल ने कहा कि मातृशक्ति को नमन करना भारत की परंपरा रही है । जिसके प्रति आज की युवा पीढ़ी को भी इसी प्रकार के संस्कारों से आपूरित करना समय की आवश्यकता है। श्रीमती बंसल ने कहा कि भारत की परंपरा में माता-पिता का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है । हमने उस समय परिवार नाम की संस्था को बनाया और बसाया जिस समय शेष विश्व इसके बारे में कुछ भी नहीं जानता था। आज पश्चिम की संस्कृति हमारी इस पवित्र संस्कृति को नष्ट करने का कार्य कर रही है । जिसके पीछे एक गहरा षड्यंत्र है । पश्चिम हमारी संस्कृति को अपनाता जा रहा है और हम अपनी संस्कृति को छोड़कर पश्चिम की ओर जाते जा रहे हैं जो कि दुर्भाग्य का विषय है।