विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के वक्ताओं ने रखे अपने बेबाक विचार कहा : भारतीय संस्कृति है विश्व की अनमोल संस्कृति
अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बाबा नंद किशोर मिश्र की अध्यक्षता , जबकि राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर विक्रमसिंह मुख्य अतिथि के रूप में हुए उपस्थित , विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद कुमार बंसल रहे मुख्य वक्ता और राष्ट्रवादी चिंतक व लेखक विनोद सर्वोदय , हिंदुत्ववादी चिंतक दिनेश कुमार सारस्वत व लेखिका एवं कवयित्री श्रीमती विमलेश आर्या बंसल सहित राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी रहे डॉ आनंद कुमार ने भी रखे अपने प्रेरक विचार।
महर्षि दयानंद के सपनों का भारत बनाना है हमारा लक्ष्य : ठाकुर विक्रम सिंह
ग्रेटर नोएडा । ( एल एस तिवारी ) महाशय राजेंद्र सिंह आर्य स्मृति शोध संस्थान द्वारा आर्य समाज मंदिर डेल्टा – 1 में आयोजित ” भारतीय संस्कृति की उत्कृष्टता और माता-पिता का हमारे जीवन में योगदान ” – विषय पर आयोजित की गई एक विचार गोष्ठी में बोलते हुए राष्ट्र निर्माण पार्टी के अध्यक्ष ठाकुर विक्रमसिंह ने कहा कि माता – पिता का भारतीय संस्कृति में बहुत ही सम्मानित स्थान है । क्योंकि विधाता के महान कार्य को संसार में लौकिक रूप में यदि कोई शक्ति करती है तो वह माता-पिता ही होते हैं।
राष्ट्र निर्माण पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि महर्षि दयानंद जिस प्रकार की संस्कार आधारित शिक्षा के समर्थक थे , हम उसी प्रकार की शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा के रूप में मान्यता दिलाकर भारत को महर्षि के सपनों के अनुसार बनाने के लिए कृतसंकल्प हैं । श्री सिंह ने कहा कि धारा 370 को हटाना और अब जनसंख्या नियंत्रण की ओर भी मजबूती से आगे बढ़ने की मोदी सरकार की नीति का समर्थन करते हैं । उन्होंने कहा कि जब तक गद्दारों को देश से समाप्त नहीं किया जाएगा , तब तक वैदिक संस्कृति को सुरक्षित नहीं कहा जा सकता ।
श्री सिंह ने स्पष्टवादिता के साथ बोलते हुए कहा कि देश के गद्दारों के सफाई का अब समय आ गया है । क्योंकि पिछले 70 – 72 वर्ष में जितनी देश के भीतर बैठे गद्दारों ने इस देश की संस्कृति को क्षति पहुंचाई है , उतनी किसी अन्य ने नहीं । श्री सिंह ने कहा कि माता पिता हमारे जीवन के निर्माण के लिए अनेकों कष्ट सहते हैं । यह एक दुख का विषय है कि जब समय आता है तो संतान उन्हें अकेला छोड़कर या वृद्ध आश्रमों में फेंककर रफूचक्कर हो जाती है । जबकि भारतीय संस्कृति में ऐसे संस्कार कहीं पर भी नहीं दिए जाते । श्री सिंह ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह तभी संभव हुआ है जब विदेशी शिक्षा संस्कार हमारे खून में रच बस गए हैं । यदि अभी भी हम अपनी दिशा में परिवर्तन कर लें तो गिरती हुई स्थिति को संभाला जा सकता है ।
श्री सिंह ने कहा कि पुत्र को अपने पिता के व्रतों के अनुसार चलने वाला और माता के हृदय के समान प्रेमपूर्ण व्यवहार करने वाला होकर चलना चाहिए । पति पत्नी को भी आपस में प्रेम पूर्ण व्यवहार करना चाहिए उसी से बच्चों पर अच्छे संस्कार पड़ते हैं । तभी परिवार समाज और राष्ट्र में शांति का वास होता है । अनुसार चलने वाला होना चाहिए ।उन्होंने कहा कि माता के समान हृदय वाली संतान उन्होंने कहा कि माता निर्माता होती है , इसलिए उसको हमारे यहां पर माता का नाम दिया गया है। ठाकुर विक्रम सिंह ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियां लॉर्ड मैकाले प्रणीत शिक्षा प्रणाली की देन है । उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली को मिटाकर वैदिक संस्कृति के अनुसार गुरुकुल शिक्षा प्रणाली लागू कर हम अपने देश में संस्कारों का पुनर्निर्माण कर सकते हैं ।
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