कोई समस्या नहीं होती, जो हल न हो सकती हो

दिव्य भाव से करो मित्रता

किसी भी रात का अंधेरा इतना बलवान नहीं होता, कि वह सवेरा होने ही न दे। लगातार रात ही रात चलती रहे। “रात का समय अवश्य ही पूरा होता है, फिर सुबह सूर्य निकलता है, सब कुछ साफ दिखता है, और सब परेशानियां दूर हो जाती हैं।”
ठीक इसी प्रकार से जीवन में भी समस्याएं आती हैं। “परन्तु ऐसी कोई समस्या नहीं होती, जो हल न हो सकती हो। हर समस्या का हल होता है। लोग उस हल को जानते नहीं। कुछ लोग हल जान भी लेते हैं, परंतु वे हल करने में पुरुषार्थ नहीं करते, आलसी बने रहते हैं। अथवा किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से डरते रहते हैं। इसलिए उनकी समस्याओं का हल नहीं हो पाता।”

“संसार में ऐसा कोई ताला आज तक नहीं बना, जिसकी कोई चाबी न हो। बल्कि पहले चाबी बनाई जाती है, उसके बाद ताला बनता है। अर्थात समस्याओं का समाधान तो होता ही है, बस उसे ढूंढने की आवश्यकता है।”
तो यह कहना झूठ है कि “मेरी समस्या का कोई हल नहीं है।” हल तो है। परंतु आप उसे जानना और करना नहीं चाहते। “जिस दिन आपमें इतनी हिम्मत आ जाएगी, कि आप अपनी समस्याओं का हल जानने और करने के लिए तैयार हो जाएंगे, पूर्ण पुरुषार्थ करेंगे, तब कोई समस्या सामने नहीं रहेगी। भले ही उस पुरुषार्थ के करने में जीवन भी क्यों न चला जाए, और अगले जन्म में उस पुरुषार्थ का फल मिले, फिर भी समस्या का समाधान तो है ही।”

अनेक बार इसी जीवन में पुरुषार्थ करने पर समस्या हल हो जाती है। और यदि इस जीवन में न हो पाए, तो अगले जन्म में तो निश्चित रूप से होती ही है। “क्योंकि यहां तो समाज के लोग न्याय भी करते हैं और अन्याय भी। कभी सहयोग देते भी हैं, और कभी नहीं भी। इसलिए यहां सदा सबका समाधान नहीं हो पाता।”

परंतु मृत्यु के बाद अगला जन्म भी तो है। वहां तो ईश्वर का राज्य है। “ईश्वर के राज्य में सभी समस्याओं का हल होता है। वह सबका रक्षक है। वह निष्पक्ष भाव से सबका न्याय करता है। ईश्वर अत्याचारियों को भयंकर दंड देता है, और अन्याय पीड़ित व्यक्तियों को उनकी हानियों की पूर्ति करके देता है। इसीलिए उसे पूर्ण न्यायकारी कहते हैं।”

आपकी जो भी समस्याएं हों, पूरे उत्साह के साथ उनका समाधान ढूंढें, और उन्हें हल करने का पूर्ण पुरुषार्थ करें। “हो सकता है, आपकी बहुत सी समस्याएं इसी जीवन में हल हो जाएं। और जो नहीं हो पाएंगी, वे अगले जन्म में तो निश्चित रूप से हल हो ही जाएंगी।” शर्त इतनी ही है, कि “आपको पूर्ण पुरुषार्थ करना पड़ेगा। “आलसियों की रक्षा न समाज के बुद्धिमान लोग करते हैं, और न ईश्वर।”

स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक
निदेशक – दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात

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