- डॉ राकेश कुमार आर्य
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मोहम्मद यूनुस का वहां की सत्ता पर काबिज होना मात्र संयोग नहीं था। इसके पीछे वे सभी भारत विरोधी शक्तियां काम कर रही थीं जो भारत को घेरकर रखने में अपनी भलाई समझती हैं। भारत विरोधी शक्तियों की इसी मानसिकता के चलते मोहम्मद यूनुस के सत्ता में आते ही बांग्लादेश में कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों को हिंदुओं के विरुद्ध अत्याचार करने का सुअवसर उपलब्ध हुआ। भारत विरोध की अपनी इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए मोहम्मद यूनुस ने चीन के लिए भारत के दरवाजे खोल दिए हैं। जिस क्षेत्र में चीन की हलचल बढ़ती हुई देखी जा रही है उसे चिकन नेक कहा जाता है। चिकन नेक का अभिप्राय है मुर्गी की गर्दन।
इससे स्पष्ट है कि यह वह क्षेत्र है जहां भारत के पo बंगाल और नेपाल के बीच मात्र 20 – 25 किलोमीटर की दूरी रह जाती है। वह क्षेत्र मुर्गी की गर्दन की भांति है। अब मोहम्मद यूनुस चीन को प्रत्यक्ष सैन्य सहयोग के लिए बांग्लादेश बुला रहे हैं। वास्तव में मोहम्मद यूनुस का चीन को दिया गया यह आमंत्रण भारत को घेरने की तैयारी है। यह तथ्य अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत का अधिकांश विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी के लिए मिलने वाली इस प्रकार की चुनौतियों को इसलिए और भी अधिक भयंकर रूप लेते हुए देखना चाहता है कि इससे देर सवेर मोदी सरकार का पतन हो जाएगा और वह सत्ता प्राप्त कर सकेंगे।
कांग्रेस के राहुल गांधी के नेतृत्व में वे सभी सेकुलर नेता एकत्र हो रहे हैं जो केंद्र की मोदी सरकार का किसी भी स्थिति में पतन देखना चाहते हैं। यद्यपि इसी समय ‘ इकोनामिक टाइम्स’ की एक सुखद अनुभूति करने वाली रिपोर्ट यह भी है कि चीनी एयरबेस की रिपोर्ट आने के बाद भारत ने ऐसी रिपोर्ट्स का अध्ययन करना आरंभ कर दिया है। इकोनामिक टाइम्स यह संकेत दे रहा है कि भारत अपनी सुरक्षा चिंताओं के प्रति सजग और पूर्णतया सावधान है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञों की बात मानें तो जब मोहम्मद यूनुस ने पिछले दिनों चीन की यात्रा की थी तो उस समय ही उन्होंने चीनी अधिकारियों के साथ इस एयरबेस को लेकर गंभीर चिंतन मंथन कर लिया था। हमारा मानना है कि चीन की अपनी यात्रा के दौरान मोहम्मद यूनुस ने वहां जाकर भारत के बारे में क्या संकेत दिए या चीनी अधिकारियों के साथ अपनी बैठकों के दौरान क्या चिंतन मंथन किया ? – बात यह महत्वपूर्ण नहीं है। बात यह महत्वपूर्ण है कि चीन ने बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के तुरंत पश्चात मोहम्मद यूनुस की सरकार को अपनी मान्यता प्रदान की। चीन का यह दृष्टिकोण ही इस बात को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ था, उससे चीन सहमत ही नहीं था बल्कि चीन बांग्लादेश में ऐसा कर देने की हर प्रकार की रणनीति और योजना में सम्मिलित भी रहा था। आज यदि चीन को मोहम्मद यूनुस एयरबेस के लिए आमंत्रित कर रहे हैं तो यह उस योजना की एक फलश्रुति है , जो मोहम्मद यूनुस को सरकार में लेकर आई थी। कहने का अभिप्राय है कि बांग्लादेश और चीन के बीच जो कुछ पक रहा है, वह मोहम्मद यूनुस को सत्ता में लाने की योजना का एक अंग है। हम सभी जानते हैं कि चिकन नेक भारत के लिए बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र है। इसे सिलीगुड़ी कोरिडोर भी कहा जाता है। इसकी सीमा नेपाल, बांग्लादेश, भूटान से मिलती है। अब यदि यहां पर चीनी सेना की हलचल बढ़ती है तो यह भारत के लिए एक चुनौती होगा , साथ ही एक खतरा भी होगा। तनिक कल्पना कीजिए कि यदि मुर्गी की गर्दन तोड़ दी जाए तो क्या होगा ?
बस, ऐसी स्थिति में जो कुछ मुर्गी के साथ हो जाएगा ,समझ लो कि वही भारत के साथ भी हो जाएगा अर्थात पूर्वोत्तर को तोड़ने , काटने ,मसलने, कुचलने के लिए यह बिंदु बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। इस बिंदु पर भारत को घेरने का अभिप्राय होगा कि पूर्वोत्तर में आप उतनी देर तक कुछ भी कर सकते हैं , जितनी देर में वहां भारत की सेना पहुंचेगी।
प्रधानमंत्री मोदी 2014 में जब सत्ता में आए थे तो उन्होंने सत्ता संभालते ही अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था और अरुणाचल प्रदेश की चीन से लगती सीमा पर अपनी पूरी सैन्य तैयारी करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश अधिकारियों को दिए थे। प्रधानमंत्री के यह दिशा निर्देश चीन के लिए उस समय खतरे की घंटी बन गए, जब भारत के मुस्तैद अधिकारियों ने इन पर त्वरित कार्य करना आरंभ कर दिया।
प्रधानमंत्री श्री मोदी के निर्देश पर अरुणाचल प्रदेश की चीन से लगती सीमा पर तेजी से सड़कों का निर्माण हुआ। जिससे कि भारत के सैनिक और उनके सैनिक साजोसामान किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए अत्यंत शीघ्रता से सीमा पर पहुंच सके। 2014 से पहले कांग्रेस की सरकार अरुणाचल प्रदेश में सड़कों का निर्माण यह कहकर नहीं करती थी कि यदि ऐसा किया जाएगा तो इससे चीन को भारत के भीतर घुसने का सहज मार्ग उपलब्ध हो जाएगा। इस प्रकार अरुणाचल प्रदेश के लोग सीमावर्ती राज्य में रहने के कारण विकास में पिछड़ रहे थे और अपने आप को इस प्रदेश का निवासी होने पर अभिशप्त समझते थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अटल जी के समय के निर्माणाधीन ब्रह्मपुत्र के पुल को भी यथाशीघ्र बनाकर दिखाया । जिससे भारत की ओर से जाने वाली सैन्य सामग्री को यथाशीघ्र अरुणाचल प्रदेश की चीन से लगती सीमा पर पहुंचाया जा सके। पता है इसका परिणाम क्या हुआ ? इसका एक परिणाम तो यह हुआ कि भारत के भीतर प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय से कांग्रेस को बहुत अधिक चोट पहुंची। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के त्वरित और देशहित में लिए गए निर्णय से कांग्रेस की प्रतिष्ठा को चोट पहुंची। लोगों को यह पता चला कि कांग्रेस के नेताओं के भीतर इच्छा शक्ति नहीं थी, जिसके कारण वह अरुणाचल प्रदेश में सड़कों का निर्माण नहीं कर सकी और अपने सैनिकों के लिए ऐसे मार्ग नहीं बना सकी जिससे चीन को किसी भी आकस्मिक स्थिति में पटकनी दी जा सके। दूसरा परिणाम यह निकला कि चीन ऐसी स्थिति बनाने में लग गया जिससे समय आने पर भारत का पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र ही सहजता से काटा जा सके।
आज चिकन लेक में जो कुछ हो रहा है उसके पीछे यही कारण काम कर रहा है।
डॉ राकेश कुमार आर्य
( लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं)
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है