नाम अनेक – वह ‘ एक’ है

तारक है, निस्तारक है,
वाहक है , संवाहक है ।
वह जगत नियंता परमेश्वर,
नायक और नियामक है।।
वही पालन कर्ता ,सुखकर्ता ,
दु:ख हर्ता भी कहा जाता,
सृष्टि कर्ता परमेश्वर ही ,
न्यायाधीश कहा जाता।।
ब्रह्मा विष्णु महेश वही है,
गायत्री हमें बताती है।
भू: भुव: स्व:- कहकर,
सही अर्थ हमें समझाती है।।
वरणीय स्वरूप उसी का जग में,
हर साधक उसको ध्याता है।
बुद्धि – प्रदाता वही है सबका,
यह वेद हमें बतलाता है।।
नाम अनेक – वह ‘ एक’ है,
यह शाश्वत सत्य जगत का है।
गुण कर्म स्वभाव अनेक देखकर,
कई नामों से उसे पुकारा है।।
संघर्ष करो – संघर्ष करो,
जीवन ज्योति प्रदीप्त करो।
संग्राम क्षेत्र यह जीवन है,
यहां अपने को उद्दीप्त करो ।।
रुक जाना नहीं जीवन होता,
जीवन चलते जाना है।
काम पथिक का चलते रहना,
रुकना ही मिट जाना है ।।
श्रम करो – पुरुषार्थ करो ,
यही सनातन कहता है।
विश्राम नहीं, थकने से पहले ,
ज्ञान पुरातन कहता है।।
प्रमादी बन जीवन जीना ,
पुरुषार्थी का काम नहीं ।
अलसी चादर ओढ़े रहना,
उद्यमी जन का काम नहीं।।
प्रमाद और आलस्य त्याग,
जिसने उद्यम अपनाया।
उसे जगत ने नायक माना,
आदर्श समझकर है गाया।।

लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है