मुजफ्फरनगर। यहां पर शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्र जागरण के लिए मशहूर टिटोडा गांव के साधु आश्रम में आयोजित किए गए राष्ट्र जागरण सम्मेलन में विभिन्न वक्ताओं ने अपने ओजस्वी विचारों से उपस्थित जनगण का मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए श्री मांगेराम आर्य ने हमें बताया कि यहां पर पिछले 77 वर्ष से निरंतर आर्य समाज का कार्य हो रहा है। जिसमें बड़े-बड़े विद्वान यहां पर आते रहे हैं।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे भाजपा नेता संगीत सोम ने कहा कि आर्य समाज वह पवित्र संस्था रही है, जिसने भारत के स्वाधीनता आंदोलन के लिए बड़ी संख्या में क्रांतिकारी पैदा किये। इस क्रांतिकारी संस्था ने गुरुकुलों के माध्यम से भारतीय शिक्षा संस्कारों को जन-जन तक पहुंचा जिससे क्रांति के नए योद्धा तैयार होते गए।
कार्यक्रम में जनपद गौतम बुद्ध नगर आर्य समाज के प्रधान डॉक्टर राकेश कुमार आर्य ने विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि भारत में राष्ट्र जागरण में आर्य समाज का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि जब राष्ट्र के बारे में कोई सोच भी नहीं पाता था, तब स्वामी दयानंद जी महाराज ने राष्ट्र की मौलिक विशेषताओं पर चिंतन कर देश के युवाओं को जगाने का काम किया। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने दलित उद्धार के लिए काम करना आरंभ किया। इसके साथ ही नारी शिक्षा पर भी उन्होंने जोर दिया। स्वामी जी महाराज ने बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए देश का आवाहन किया। इसके अतिरिक्त विधवा विवह को नैतिक और कानूनी आधार प्रदान करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने देखा कि वेदों की उपेक्षा कर विदेशी शिक्षा संस्कारों के पीछे भारत के युवा भागे जा रहे थे, उस ओर से सारी भीड़ को रोक कर उन्होंने भारतीय शिक्षा संस्कारों को बलवती करने के लिए गुरुकुलों की स्थापना करने पर बल दिया। अतः राष्ट्र जागरण में आर्य समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
इस अवसर पर यज्ञ मुनि जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश के सामने आज भी जिस प्रकार की समस्याएं खड़ी हैं, उनमें आर्य समाज का चिंतन ही अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। सही मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए आर्य समाज जिन शिक्षा संस्कारों पर बल देता है उनके माध्यम से ही हम मानव निर्माण से राष्ट्र निर्माण करने के अपने संकल्प को पूर्ण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का आजादी का आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है। जब तक हमारी शिक्षा और संस्कार सही नहीं हो जाते हैं , तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के सहकोष अध्यक्ष आर्य सागर ने अपना विशेष ओजपूर्ण वक्तव्य देते हुए इस अवसर पर कहा कि आर्ष ग्रन्थों का दोहन करने से हमें अनेक प्रकार के बेशकीमती मोती प्राप्त होते हैं। बेशकीमती वैचारिक मोतियों के माध्यम से हम मानव निर्माण से राष्ट्र निर्माण के अपने संकल्प में सफल हो सकते हैं। आज हमें भारत के आर्ष ग्रन्थों के अध्ययन अध्यापन की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए चमन शास्त्री ने हमें बताया कि यह कार्यक्रम पिछले 77 वर्ष निरंतर जारी है। इस गांव के लोग परस्पर प्रेमपूर्ण ढंग से रहते हैं। इसके मूल में यही कारण है कि यहां के लोगों का आर्य समाज और वैदिक शिक्षा संस्कारों से गहरा नाता है। उन्होंने बताया कि तीन दिन तक चले इस कार्यक्रम में विभिन्न आर्य विद्वानों ने आकर अपने विचार व्यक्त किये। सभी का गंभीर मार्गदर्शन लोगों को प्राप्त हुआ। अधिकांश विद्वानों ने महर्षि दयानंद के सपनों का भारत बनाने के लिए अपने भासषण को केंद्रित रखा। भाषण और भजन उपदेशन के माध्यम से लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया गया कि वह वेदों की ओर लौटें और महर्षि दयानंद के सपने को साकार करने के लिए कृत संकल्पित हो।
इस अवसर पर महावीर सिंह आर्य, किशन लाल आर्य, धर्मवीर सिंह आर्य, पवन आर्य, अमन शास्त्री, भजन उपदेशिका अलका आर्या आदि सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।