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व्यक्तित्व हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वामी भीष्म जी का बल

आजादी से पूर्व की घटना है। हमारे हरियाणा पंजाब में कुश्तियों का रिवाज रहा है। पंजाब के जालंधर में एक अंग्रेज पहलवान ने पहलवानों को दंगल के लिए ललकार दिया। काफी पहलवान दम खम दिखाते रहे। वीर अर्जुन अखबार के पत्रकार महाशय कृष्ण जी ने इधर उधर नजर लगाई घरौंडा के स्वामी भीष्म जी नजर आए। कि वही इस फिरंगी को हरा सकते हैं। महाशय जी सुबह की गाड़ी में बैठकर स्वामी जी के पास आए। स्वामी जी को नमस्ते प्रणाम किया। स्वामी जी को सारा वृतांत सुनाया।

स्वामी भीष्म जी बोले, जाओ यहां से “मैं तुम्हें पहलवान दिखता हूं”? महाशय जी बोले स्वामी जी आपसे ही आशा है। आप उनको चित्त कर सकते हो क्योकिं आप ब्रह्मचारी हो।। स्वामी जी बोले ठीक है। चलो देखते हैं फिरंगी को। महाशय कृष्ण जी के साथ स्वामी जी जालंधर पहुंच गए। अंग्रेज पहलवान दंगल में दहाड़ रहा था। स्वामी भीष्म जी दंगल में आकर मिट्टी को प्रणाम करके पहलवान के पास आए। अखाड़े के नियमानुसार स्वामी जी ने अंग्रेज पहलवान से हाथ मिलाया। ज्यों ही अंग्रेज पहलवान से हाथ मिलाया स्वामी जी ने अंग्रेज पहलवान का इतना जोर से हाथ दबा दिया की पहलवान की पैरों तले की जमीन खिसक गई। अंग्रेज पहलवान जोर जोर से चिल्लाने लगा। अंग्रेज पहलवान अपना हाथ नहीं छुड़ा पाया। वहां उपस्थित दो दरोगा जी भागे आए। स्वामी जी को कुछ कुछ कहने लगे।। ये क्या किया आपने ?? इतनी देर में महाशय कृष्ण जी अपने साथियों के साथ तैयार थे। वहां ढ़ोल बज गया। स्वामी भीष्म जी के जयकारे होने लगे। दोनों दरोगा जी अंग्रेज पहलवान के लेकर उपचार के लिए ले गए।

इतिहासकार बताते हैं, अखाड़े में कितना भी ताकतवर पहलवान हो, ब्रह्मचारी के सामने उनका पलड़ा हल्का हो जाया करता।क्योकिं उनके पास ब्रह्मचर्य का तप शक्ति होती है। उपरोक्त घटना स्वामी भीष्म जी के शिष्य महाशय धर्मसिंह आर्य सुहरा वालों ने बताई।

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