राहुल गांधी के देश विरोधी खतरनाक बोल

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राहुल गांधी अब अपनी पप्पू वाली छाप को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं। जहां लोग उनकी ‘ पप्पू मानसिकता ‘ पर अपने राजनीति में बच्चा मानकर उन पर व्यंग्य किया करते थे, वे अब उनकी सोच की भयानकता को समझने लगे हैं ।

देश की राजधानी नई दिल्ली में कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन के अवसर पर इंदिरा भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उपस्थित रहे कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि ‘यदि आप यह समझ रहे हैं कि हम भाजपा और आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठनों से लड़ रहे हैं तो यह गलत है। इन दोनों ने देश के हर संस्थान पर कब्जा कर लिया है। अब हम भाजपा, आरएसएस और इंडियन स्टेट से भी लड़ रहे हैं।’

‘ भारतीय राज्य’ से लड़ाई का अभिप्राय है कि राहुल गांधी देश में यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि देश में गृह युद्ध आरंभ हो चुका है और उसे केवल कांग्रेस की सोच से ही दूर किया जा सकता है। जिसके लिए हम निरंतर संघर्ष कर रहे हैं। भारत के जिस संविधान की रक्षा करने की बात राहुल गांधी बार-बार करते हैं, वही संविधान भारतीय राज्य की परिभाषा निश्चित करता है। भारतीय संविधान की मान्यता है कि राज्य एक संगठित इकाई है। जिसका शासन किसी सरकार के अधीन होता है। भारत में, राज्यों को संवैधानिक रूप से ‘राज्य’ कहा जाता है।

इस प्रकार राज्य भारतीय संविधान की मौलिक चेतना का नाम है। इस राष्ट्र की मौलिक संप्रभुता का नाम है। जिसके विरुद्ध किसी भी नागरिक, संगठन या राजनीतिक दल या फिर किसी भी विदेशी शक्ति को चुनौती देने या लड़ाई आरंभ करने का अधिकार नहीं है और यदि कोई ऐसी चुनौती कहीं से मिलती है तो संपूर्ण राष्ट्र एक इकाई के रूप में बंधकर उस चुनौती का सामूहिक रूप से सामना करेगा। आप कभी भी भारतीय राज्य के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति की बात नहीं कर सकते, न ही किसी युद्ध की धमकी दे सकते हैं और न ही किसी लड़ाई के आरंभ होने की घोषणा कर सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो निश्चित रूप से आपके विरुद्ध विधिक कार्यवाही किया जाना संवैधानिक दृष्टिकोण से न्याय पूर्ण होगा।

माना कि भारतीय संविधान लचीला है। यहां का लोकतंत्र भी लचीला है । भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देकर वह अपने लचीले और उदार स्वरूप को ही प्रकट करता है। परंतु इसका अभिप्राय यह नहीं कि आप जो चाहें सो बोल देंगे। राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ-साथ राष्ट्रीय संप्रभुता को चोटिल करने वाले शब्दों पर आपके विरुद्ध विधिक कार्यवाही हो सकती है। राहुल गांधी को यह बात समझनी चाहिए। साथ ही उन्हें यह भी समझना चाहिए कि वह आरएसएस या भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध अपनी लड़ाई लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं । उनसे अपनी राजनीतिक विरासत छीनने के लिए भी वह लड़ाई लड़ सकते हैं, परंतु भारतीय राज्य को वह किसी भी प्रकार की चुनौती नहीं दे सकते। इसको चुनौती देने का अभिप्राय है देश के प्रत्येक नागरिक को चुनौती देना अथवा अराजकता को आमंत्रित करना।

कांग्रेस बार-बार इस बात का आभास देशवासियों को कराती है कि कांग्रेस के एक परिवार ने देश सेवा के लिए अपने आप को खपा दिया। सारे परिवार का बलिदान हो गया। इसलिए उस परिवार के लिए कुछ भी कहा जाना उचित नहीं है। इस संदर्भ में हम बताना चाहेंगे कि यद्यपि कांग्रेस के किसी विशेष परिवार के बलिदानों से ही देश आजाद नहीं हुआ था , इसके लिए लाखों करोड़ों लोगों ने दीर्घकाल तक अपने बलिदान दिए हैं । जिसे कांग्रेस के एक परिवार ने पूर्णतया उपेक्षित करने का पाप किया। जहां तक एक परिवार के बलिदानों की बात है तो वह बलिदान स्वाधीनता से पूर्व लड़े गए स्वाधीनता आंदोलन के दौरान नहीं दिए गए थे बल्कि स्वाधीनता के पश्चात इस परिवार के द्वारा अपनाई गई गलत नीतियों के कारण परिवार के लोगों की हत्याएं हुईं। यदि एक बार यह मान भी लिया जाए कि परिवार के लोगों ने देश के लिए अपने बलिदान दिए तो कांग्रेस को यह भी स्वीकार करना चाहिए कि इसके बदले में परिवार ने देश से कितना लिया है ? संभवत: अपेक्षा से बहुत अधिक ?

राहुल गांधी जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग अब कर रहे हैं इससे पूर्व भी वह इसी प्रकार की भाषा का प्रयोग कई बार कर चुके हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मानता है कि भारत एक विचार है, जबकि हमारा मानना है कि भारत कई विचारों से बना है। उनके इस प्रकार के चिंतन में भारत की एकरूपता को समाप्त करने के बीज निहित हैं।

उन्होंने जर्मनी, ब्रिटेन , सिंगापुर, अमेरिका जैसे देशों में खड़े होकर भारत के विरुद्ध आपत्तिजनक बयान दिए हैं। मार्च 2023 में जब वह ब्रिटेन की यात्रा पर थे तो वहां पर उन्होंने लर्निंग तो लिसनिंग कार्यक्रम में कैंब्रिज जज बिजनेस स्कूल में विजिटिंग फेलो के रूप में अपना भाषण दिया था। जिसमें उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई, चीन, मीडिया सहित विवादास्पद पेगासस जासूसी मुद्दे का उल्लेख किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इजरायली स्पाइवेयर पेगासस उनके सहित बड़ी संख्या में राजनेताओं के फोन पर इंस्टॉल किया गया था।

मई 2023 में राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर गए। उस समय उन्होंने भारत में लोकतंत्र को खतरे में बताया था। उन्होंने अल्पसंख्यकों, दलितों और अन्य लोगों पर कथित रूप से किया जा रहे हमलों का उल्लेख कर भारत की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई। जिस पर उस समय समाचार पत्र पत्रिकाओं में बहुत कुछ लिखा पढ़ा गया था। परंतु उन पर इन बातों का कोई प्रभाव नहीं हुआ। इसके विपरीत उन्होंने ऐसा आभास कराया की आप चाहे जो लिखें पढ़ें परंतु मैं वही करूंगा जो मुझे अच्छा लगेगा। सितंबर 2023 में राहुल गांधी यूरोपीय देशों के भ्रमण पर गए। वहां फ्रांस, बेल्जियम , नीदरलैंड और नॉर्वे जैसे देशों में 5 दिन की यात्रा पर रहे। उस समय भी उनकी भाषा अमर्यादित थी। कुल मिलाकर कहने का अभिप्राय है कि राहुल गांधी जब भी विदेश गए हैं तभी उन्होंने अपने देश के विरुद्ध माहौल बनाने का प्रयास किया है।

उनका वर्तमान बयान तो देश को सीधे गृह युद्ध में झोंक देने की मानसिकता को प्रकट करता है। अंतत: उनकी इस प्रकार की मानसिकता को देश कब तक सहन करेगा ?

– डॉ राकेश कुमार आर्य
(लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं।)

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