भारतीय जन-जीवन कृषि पर आधारित हैं। जनवरी मास के इन दिनों तक मकई, तिलहन, दालें, मूंगफली, बाजरा आदि फसलें किसान के घर में आ जाती हैं। उस फसल के कुछ अंश को दान करके और जलती हुयी आग में डाल कर ईश्वर का धन्यवाद किया जाता हैं।यह प्राचीन काल की उसी परम्परा का निर्वाह किया जाता हैं जब ऋषि-मुनि देव शक्तियों को अनुकूलता व तृप्त करने के लिए हवन करते थे तथा अग्नि के समीप बैठ कर लोग उनसे धर्म उपदेश सुना करते थे।
लोहड़ी के अवसर पर यज्ञ हवन करना एक धार्मिक कार्य है जिसमें लोग घी, शहद, तिल, गुड़ मूँगफली गन्ना हवन सामग्री आदि अग्नि को आहुतियों द्वारा समर्पित करते और भगवान् का अच्छी फसल के आगम पर आभार प्रकट करते हैं तथा हवन के धुएँ की सुगंध से सारा वातावरण सुगंधित व किटाणु रहित करके रोग मुक्त करते हैं।इस अवसर पर सामूहिक यज्ञ करना गेहूँ की फ़सल के लिए उपयुक्त है जो वर्षा करने में भी सहयोग करता है।
इस दिन अग्नि देव की पूजा आराधना करके और अग्नि देव की परिक्रमा करते हुए लोग भगवान से ख़ुशहाली और सौभाग्य की प्रार्थना करते है। अग्नि देव के आशीर्वाद से जीवन में सुख और मंगल का आगमन होता है।
मान्यता यह है भी की जिनके घर में बच्चे का जन्म हुआ हो या पुत्र वधू का घर में प्रथम वर्ष में प्रवेश हो वे लोग लोहड़ी हर्षों उल्लास व नाच गाने से मनाते है तथा लोगों की धारणा है कि अग्नि परिक्रमा करने से तथा उस समय बच्चे को अग्नि के सामने ले जाने से बच्चे के जीवन में शुभता आनन्द और सफलता आती है क्योंकि अग्नि ज्ञान का प्रकाश का व ऊपर उठने का प्रतीक है। जितनी ख़ुशी से हम लोहड़ी मनाते है उससे अधिक खुशहाली और कामयाबी हमारे जीवन में आती है।इस अवसर पर लोग दान पुण्य भी करते है तथा मूँगफली मक्का गुड़ तिल भेंट स्वरूप बांटते है।
लोहड़ी का त्यौहार दुल्ला भट्टी की कहानी से भी जुड़ा हुआ है. कहानी के अनुसार दुल्ला भट्टी बादशाह अकबर के शासनकाल के दौरान पंजाब में रहते थे । उन्होंने अमीरों और जमीदारों से धन लूटकर गरीबो में बाटने के अलावा, जबरन रूप से बेची जा रही हिंदू लड़कियों को मुक्त करवाया । साथ ही उन्होंने हिंदू अनुष्ठानों के साथ हवन यज्ञ करके उन सभी लड़कियों की शादी हिंदू लड़कों से करवाने की व्यवस्था की और उन्हें दहेज भी प्रदान किया। जिस कारण वह पंजाब के लोगो के नायक बन गए.
इसलिए आज भी लोहड़ी के गीतों में दुल्ला भट्टी का आभार व्यक्त करने के लिए उनका नाम जरुर लिया जाता हैं
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।