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कविता

भारत ही पहला धर्मस्थल

मेरी साधना उस भारत की,
जिसके पीछे संसार चला।
मानवता की शिक्षा पाकर,
मानव ने इतिहास रचा।।

मथुरा काशी की गूंज कभी,
यूरोप में गूंजा करती थी।
वेद मंत्र के गीत को सुनकर,
उसकी धरा धन्य होती थी।।

वहां वेद का जीवन दर्शन ही,
लोगों को मार्ग बताता था।
उपदेशन वैदिक ऋषियों का,
जीवन को शुद्ध बनाता था।।

जिसने मानव को मानव बन,
आगे बढ़ना सिखलाया है।
भारत ने ‘ विश्व गुरु ‘ बनकर,
धर्म का गहरा मर्म बताया है।।

भारत ही पहला धर्मस्थल ,
और धर्म केंद्र जगती भर का।
तीर्थ – स्थल भी भारत ही है,
सचमुच इस भूमंडल का।।

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