प्रखर वक्ता और उत्कृष्ट सांसद प्रकाश वीर शास्त्री को भारत रत्न देने की हुई मांग
अमरोहा। यहां स्थित रहरा गांव में प्रकाशवीर शास्त्री इंटर कॉलेज में सुप्रसिद्ध आर्य नेता प्रखर वक्ता और उत्कृष्ट सांसद प्रकाशवीर शास्त्री की 101 वीं जयंती के अवसर पर स्थापित की गई उनकी प्रतिमा के अनावरण समारोह के अवसर पर उन्हें भारत रत्न देने की मांग की गई है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपने संबोधन में कहा कि प्रकाशवीर शास्त्री एक महान विचारक थे। जिन्होंने अपने राष्ट्रवादी चिंतन को प्रस्तुत कर तत्कालीन समाज पर अपने विचारों की गहरी छाप छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्य का विषय है कि प्रकाश वीर शास्त्री जी की प्रतिमा को आज इतने वर्ष पश्चात इस विद्यालय में स्थापित किया जा रहा है। जबकि उनकी प्रतिमाएं गली-गली चौराहे चौराहे पर लग जानी चाहिए थी।
इससे पूर्व सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉक्टर राकेश कुमार आर्य ने अपने ओजस्वी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रकाशवीर शास्त्री जी पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने धारा 370 को हटवाने के लिए सितंबर 1964 में लाल बहादुर शास्त्री के शासन काल में इस संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव संसद में प्रस्तुत किया था। जिस पर उस समय मैसूर स्टेट के पूर्व मुख्यमंत्री हनुमंथैया ने भी अपनी सहमति दी थी। इसके साथ ही कांग्रेस के बड़े नेता भी इस बात से सहमत थे कि धारा 370 को हटाया जाना चाहिए। यह दुर्भाग्य रहा कि लाल बहादुर शास्त्री बहुत देर हमारे बीच नहीं रह सके अन्यथा इस धारा को हटाने का महान कार्य उनके शासनकाल में ही हो गया होता।
डॉ आर्य ने कहा कि हिंदी को लेकर उन्होंने पंजाब में कांग्रेस की प्रताप सिंह कैरो सरकार के विरुद्ध भी आंदोलन चलाया था । इसके अतिरिक्त 16 साल की अवस्था में वह हैदराबाद आंदोलन में जाकर भी शूरवीर की भांति छाती तानकर खड़े हो गए थे। उनके लिए राष्ट्र प्रथम था। यही कारण था कि उन्हें गुड़गांव, गाजियाबाद और बिजनौर की जनता ने तीन बार स्वतंत्र रूप से सांसद नियुक्त कर भेजने का ऐतिहासिक कार्य किया था।
डॉ आर्य ने ही अपनी ओर से सभा में सर्वप्रथम यह प्रस्ताव रखा कि प्रकाशवीर शास्त्री जी जैसे निडर निर्भीक ओजस्ती वक्ता, कुशल सांसद और राष्ट्रवादी नेता को भारत रत्न दिया जाना चाहिए। जिसका समर्थन उपस्थित जनगण ने दोनों हाथ उठाकर किया। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए मुख्य अतिथि आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि उनके नाम पर इस जिले का नाम प्रकाश वीर शास्त्री नगर रखा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त शहर के बीच चौराहे पर उनकी प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए । उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह जब कल्कि धाम का निर्माण करा रहे होंगे तो उसमें एक भवन का नाम प्रकाश वीर शास्त्री भवन रखने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रकाश वीर शास्त्री जी को भारत रत्न दिलाने की मांग को वह प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री के समक्ष निश्चय हीउठाएंगे। अपने संबोधन में स्थानीय विधायक श्री महेंद्र सिंह खड्गवंशी ने कहा कि वह प्रकाश वीर शास्त्री जी की प्रतिमा शहर के चौराहे पर स्थापित करने का संकल्प लेते हैं। उन्होंने कहा कि श्री शास्त्री जी को भारत रत्न दिलाने की मांग का वह भी समर्थन करतेहैं। उन्होंने त्यागी समाज का इस बात के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया कि इस समाज ने उन्हें अपना महत्वपूर्ण सहयोग और आशीर्वाद प्रदान किया है।
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कार्यक्रम के संचालक आचार्य सुरेंद्र आर्य विद्यार्थी ने हमें बताया कि सभा को बसंत त्यागी ( उत्तर प्रदेश भाजपा मंत्री) पूर्व प्रधानाचार्य प्रेमराज त्यागी , पूर्व प्राचार्य मांगेराम त्यागी, आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष देवेंद्र पाल वर्मा, अवनीश त्यागी (प्रदेश प्रवक्ता भाजपा), महेंद्र सिंह खड़गवंशी (विधायक हसनपुर विधानसभा), राकेश त्यागी (पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार),मांगेराम त्यागी ( प्रदेश उपाध्यक्ष किसान यूनियन), सोरन सिंह (जिला पंचायत सदस्य), राजेंद्र खड़गवंशी (ब्लॉक प्रमुख), गिरीश त्यागी ( पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा) प्रकाश वीर इंटर कॉलेज रहरा के प्रधानाचार्य पीतांबर सिंह आर्य विद्यालय संचालक योगेश त्यागी हाई कोर्ट दिल्ली के अधिवक्ता ओमपाल आर्य डॉक्टर कुमारपाल आर्य आयुर्वेदाचार्य आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के उप प्रधान महावीर सिंह आर्य भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन योगाचार्य सुरेंद्र आर्य विद्यार्थी ने किया। उन्होंने कहा कि प्रकाश वीर शास्त्री हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं और उनके व्यक्तित्व को जन-जन तक पहुंचाना आज के प्रत्येक युवा का प्राथमिक कर्तव्य है। इस अवसर पर आर्य जगत के सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक कुलदीप विद्यार्थी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य से प्रकाश वीर शास्त्री जी के जीवन के अनेक संस्मरण सुनाकर लोगों को गदगद कर दिया।