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कविता

तुलसी है संजीवनी

तुलसी है संजीवनी, तुलसी रस की खान।
तुलसी पूजन से मिटें, जीवन के व्यवधान।।

विष्णु प्रिया तुलसी सदा, करती है कल्यान।
तुलसी है वरदायिनी, जीवन का वरदान ।।

जिस घर में तुलसी पुजे, रहे प्रभू का वास।
रोग पाप सब के मिटे, तन-मन हो उल्लास।।

तुलसी सालिगराम की, महिमा अजब महान।
हम सब का कर्तव्य है, हो इसका सम्मान।।

तुलसी माँ की वंदना, करता है संसार।
निरख -निरख रस का तभी, होता है संचार।।

तुलसी घर की शान है, तुलसी घर की आन।
जिस घर में हों तुलसियाँ, ईश्वर का वरदान।।

प्राणदायिनी औषधी, तुलसी है अनमोल।
ये माता संजीवनी, इसके पुण्य अतोल।।

चरणामृत तुलसी बिना, रहता सदा अपूर्ण।
बोकर तुलसी हम करे, उसे आज सम्पूर्ण।।

तुलसी के इस भेद को, जानें चतुर सुजान।
तुलसी माँ हर भक्त का, करती है कल्यान।।

सच्चे मन से जो करे, तुलसी पूजन पाठ।
रहते सौरभ है वहां, तन-मन के सब ठाठ।।

-डॉ सत्यवान सौरभ

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