ऋषि मुनियों की भूमि भारत,
मानवता की रही उपासिका।
वेद के गीत सुनाती हमको,
प्रेम स्नेह की रही साधिका।।
राष्ट्र का बोध कराती हमको,
प्रेम के भाव जगाती है।
अपनी संतति मान सभी को,
प्रेम से गले लगाती है।।
ऊंचाई हमारे भावों में भर,
हृदय को पवित्र बनाती है।
सत्व- भाव का सेतु बनकर,
जीवन को धन्य बनाती है।।
गंगा- यमुना जैसी नदियां,
इसकी छाती पर बहती हैं।
सत्य – सनातन भारत की,
सब गाथा हमसे कहती हैं।।
अग्नि ,वायु, आदित्य, अंगिरा,
बना सबका था संयोग यहां।।
गौतम, कणाद, कपिल की भूमि,
पतंजलि का योग यहां।।
– डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
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