अब से लगभग 2300 साल पहले यूनानी अध्येताओं का एक दल उस काल में ज्ञान वृद्ध भारत में आया…. भारत के आचार्यों से ज्ञान का अर्जन करने के लिए भारत से कुछ सीखने जानने के लिए । भारत वर्ष अपने ज्ञान को बांटता रहा है । वही जब मध्यकाल में इसकी 75 फीसदी आबादी जिसमें महिला और शूद्र शामिल थे उनके ज्ञान अर्जन पर रोक लगा दी गई चंद स्वार्थी लोगों के द्वारा कपोल कल्पित श्रुति ईश्वर के नाम पर गढकर तो भारत विद्या से हीन हो गया लेकिन धन से परिपूर्ण तब भी रहा फिर इसके धन को लुटा गया लूटने और लूटाने में भारी अंतर होता है खैर यह अलग प्रसंग हो जाएगा।
यूनानियों का जो दल भारत में 2300 साल पहले लगभग आया उसमें ‘अरायन’ नाम का एक ग्रीक इतिहासकार भी था।
वह ग्रीक इतिहासकार जब यूनान लौटता है तो वह एक पुस्तक लिखता है। उस पुस्तक में वह भारत का वर्णन इस तरह करता है कि – “में भारत के गांवों में घूमा मुझे आश्चर्य हुआ मैंने अधिकांश गांवो में एक दो नहीं दर्जनों ऐसे बुजुर्गों को देखा जिनकी उम्र उस समय 140 वर्ष की थी ऐसे बुजुर्गों को विशेष नाम से पुकारा जाता था साथ ही 100 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले लोग तो भारत के गांवों में अनगिनत थे।”
उपरोक्त ऐतिहासिक तथ्य की सत्यता में कोई संदेह नहीं है क्योंकि ढाई हजार पूर्व की इस अवधि से यदि हम पूर्व में ढाई हजार वर्ष पहले ओर जाएं तो ऐतिहासिक महाभारत काव्य के अनुसार आदित्य ब्रह्मचारी गंगा पुत्र भीष्म जब कुरुक्षेत्र की भूमि में हजारों नवयुवक राजकुमारों राजाओं को अपने बाणों से भूमि पर सुला रहे थे तो उनकी उम्र उस समय 170 वर्ष थी वही इस ऐतिहासिक युद्ध इन सभी घटनाक्रमों को ऐतिहासिक काव्य महाभारत ग्रंथ के रूप में पिरोने वाले महर्षि व्यास की उम्र 160 वर्ष थी।
उल्लेखनीय होगा मॉडर्न मेडिकल साइंस की स्टडी में समूचे मानव शरीर की ना सही लेकिन मानव अंगों की उम्र जिसमें किडनी लीवर हृदय शामिल है उनकी उम्र अधिकतम 150 से लेकर 400 वर्ष तक निर्धारित की गई है। मनुष्य की आयु पर शोध करने वाले वैज्ञानिक अभी तक मनुष्य की अधिकतम आयु को निर्धारित नहीं कर पाए हैं।
यह सत्य है कि भारत में कभी सर्वाधिक आयु तक जीने वाले वयवृद्ध लोग पाए जाते थे। कभी भारत के बुजुर्ग भारत के लिए वरदान थे लेकिन आज बुजुर्ग हमारे लिए भार बन गए हैं। संयुक्त परिवारों से एकल होते परिवार आत्म केंद्रित जीवन की प्रवृत्ति के कारण बुजुर्गों को वह देखभाल नहीं मिल पाती जिसके वह हकदार होते हैं।
अभी एक दो दिन पहले दुनिया के सर्वाधिक वृद्ध व्यक्ति इंग्लैंड निवासी “जॉन टिनिसवुड” का 112 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह दुनिया के सर्वाधिक वृद्ध व्यक्ति थे। आज जब उम्र को लेकर कीर्तिमान की बात होती है तो भारत की गिनती इसमें बहुत पीछे है अधिकांश उम्र दराज व्यक्ति यूरोप ,अमेरिका या जापान में ही पाए जाते हैं। पुत्र पुत्रीया पोते पोती होने के बावजूद जॉन टिनिसवूड ने अपने जीवन के अंतिम दशक एक केयर होम में बिताए नाम का ही अंतर है आप इसे वृद्ध आश्रम भी कह सकते हैं। पश्चिमी समाज में यह सहज स्वाभाविक है। दुर्भाग्य से जिस भारतीय संस्कृति में वृद्ध आश्रम को लेकर कोई शब्द नहीं मिलता वहां भी यह सहज स्वीकार्य हो गया है सामाजिक तौर पर।
भारत के बुजुर्गों को बेहतर देखभाल सामाजिक सुरक्षा मिले तो वह भी लंबी आयु के मामले में कीर्तिमान बना सकते हैं। लेकिन शरीर से बूढ़ा होने से पहले व्यक्ति मन से बूढ़ा होता है यहां 60 वर्ष की उम्र होते ही व्यक्ति को गया गुजरा मान लिया जाता है।
महर्षि वात्सायन के इस सूत्र को भी पढ़ लेते तो ऐसी हीन मानसिक अवस्था ना बनती “आ षोडशात् सप्ततिवर्षपर्यतम् यौवनम्” अर्थात 16 से 70 वर्ष तक यौवन अवस्था होती है।
वेदों में जहां-जहां लौकिक कामनाओं को लेकर ईश्वर से प्रार्थना मिलती है वहां वहां धन संतान से पहले कम से कम शतायु जीवन की कामना की गई है । हमारे पूर्वज प्रार्थना ही नहीं करते थे दीर्घ आयुष्य के लिए जतन भी करते थे।
कुछ दिन पहले एक मीडिया इंटरव्यू में जब जॉन टिनिसवूड से उनकी दीर्घायु का राज पूछा गया तो उन्होंने इतना ही कहा कम नापतोल कर समय पर खाना, पैदल चलना व शारीरिक व मानसिक तौर पर सक्रिय रहना ,गुस्से से बचना उनके दीर्घायु जीवन के कुछ राज है । वेद आयुर्वेद में ऐसे सैकड़ो कारण गिनाए गये है जिनके कारण दीर्घायु होती है बस कोई पढ़ने समझने विचार करने आत्मसात करने वाला चाहिए। वेद आयुर्वेद स्मृति ही नहीं महाभारत में बाणो की सेज पर मृत्यु को वश में करके लेटे हुए 170 वर्ष के बुजुर्ग राज ऋषि भीष्म ने अनुशासन पर्व में धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर दीर्घायु कैसे होती है को लेकर अनेक आयुष्यवर्धन के उपाय महाभारत के अनुशासन पर्व में बताएं है बेहद रोचक है वह उपाय।
विराम शेष फिर कभी।
लेखक – आर्य सागर
तिलपता ग्रेटर नोएडा