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कविता

वही देश के रक्षक बनते,

राष्ट्र की धड़कन बन जा प्यारे,
जीवन सफल बनाना है।
गीत देश के गाता चल तू,
भारत भव्य बनाना है।।

शब्दों के वाक जाल में फंसकर,
जिनकी कविता फूटा करती।
कभी नहीं लेखनी उनकी,
नेतृत्व राष्ट्र का कर सकती।।

जिनके भावों में निर्भयता,
और ठेठ निडरता वास करे।
वही देश के रक्षक बनते,
गुणगान सदा इतिहास करे।।

जिनके भीतर हो आत्म बल,
वही देश के नायक बनते हैं।
ओज पूर्ण मधुर वाणी हो,
वही आदर्श जगत के बनते हैं।।

कामना जिनकी जगत के हेतु,
गीतों में जिनके मानवता।
प्रेरक व्यक्तित्व उन्हीं का बनता,
और सबकी हरते कायरता।।

Dr Rakesh Kumar Arya

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