दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)
मजहबी उपद्रवियों की ताकत पर अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे लोगों का आतंक उत्तर प्रदेश ने देखा है। संभल में जिस तरह इस्लामिक भीड़ को कईं किलोमीटर तक से बुलाकर एकत्र कर उपद्रव काटा गया यदि पुलिस मोर्चा नहीं संभालती तो मजहबी भीड़ किस तरफ जाती यह कोई नहीं बता सकता हाँ लेकिन यह बात पुनः सिद्ध हो गयी की मजहबी भीड़ से आत्मरक्षा हेतु सभ्य समाज को वैधानिक रूप से शस्त्र युक्त होना ही होगा। शस्त्र ही वह शक्ति है जो किसी भी उन्माद से सभ्य समाज की रक्षा कर सकती है। जिस क्षेत्र दीपा सराय में यह घटना हुई उस क्षेत्र से मजहब कटटरपंथ के नाम पर अनेको आतंकियों का जन्म हुआ है अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठन का मुख्या सनाउल हक़ उर्फ़ मौलाना असीम अमीर तक इसी स्थान से सम्बन्ध रखता था इसके अतिरिक्त दिल्ली स्पेशल यूनिट ने पूर्व में इसी स्थान से कईं आतंकियों भी गिरफ्तार किया है। निश्चित ही जिन मुस्लिम ठेकेदारों ने इस उपद्रवी भीड़ को अपने उग्र भाषणों से एकत्र किया है उन ठेकेदारों पर रासुका लगनी चाहिए और मात्र एफआईआर नहीं बल्कि गिरफ्तारी होनी चाहिए।
मानना पड़ेगा की इस्लामिक समाज के मजहबी लोगों ने गैर इस्लामिक समाज के विरुद्ध एक शक्तिशाली तंत्र बनाया हुआ है जिसका उदेष्य सिर्फ और सिर्फ आराजकता फैलाना और सभ्य समाज को प्रताड़ित करना है। अब कोई सांसद हो या विधायक पुत्र जो भी इस राष्ट्र को इस्लामिक कानून से चलाने का स्वप्न देख रहे हैं उन पर ऐसी कार्यवाही हो की उनकी नश्ले नहीं अपितु संघठित उपद्रवियों के समूह की रूह तक काँप उठे।
उत्तर प्रदेश सरकार को भी सभ्य समाज के लिए शस्त्र लाइसेंस स्वीकृत करने चाहिए जिससे समय आने पर सभ्य समाज अपने परिवारों की सुरक्षा के साथ साथ सुरक्षा फोर्स का भी सहयोग कर सके।