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धर्म-अध्यात्म

*यमदूत कौन?भ्रांति निवारण*

Dr DK Garg

यमदूत यानि यमराज की कल्पना किसी के लिए भी डरावनी हो सकती है।क्रोधवश किसी को भी यमदूत कहते हुए अपने सुना होगा ।खासतौर पर अत्याचार करने वाले के लिए यमदूत शब्द का प्रयोग किया जाता है।यमदूत का नाम सुनकर एक ऐसे व्यक्ति की छवि सामने आती है जो काफी मोटा ,काला , खूंखार है,भैंसे पर सवार है और जिसे देखते ही डर लगता है। कहावत है कि ये यमदूत प्राण लेकर ही जाता है इसलिए यमदूत से दूर रहना ही अच्छा हैं।

यमदूत किसे कहते है ?इस विषय में खोज करने पर यमदूत का भावार्थ अथर्ववेद 8/2/12. मंत्र से प्राप्त होता है ,इसमें ऐसे
व्यक्ति को यमदूत की संज्ञा दी गई है जिसमें इस प्रकार के गुण हो;:
अदानशीलता यानि न देने की वृत्ति, निर्झृति यानि परस्पर कलह,ग्राही यानि लोभ, काम वृत्तियां तथा सब राक्षसी भाव ये ही यमदूत है -अथर्ववेद 8/2/12

यानी 1.आपसे उधार लेकर वापिस नहीं करने वाला ,ऐसा व्यक्ति कर्ज देने वाले को जीते जी कंगाल बना देता है,
2.कलह करने वाला मित्र ,पड़ोसी ,रिश्तेदार या परिवार का सदस्य आदि भी जीते जी आपको निशुल्क बीमारियां दे देते हैं और जीना दुश्वार कर देते है।
3.तीन प्रवृतियां जैसे लोभी,लालची, कामी,तामसिक और राक्षची प्रवृति वाला व्यक्ति

उपरोक्त से हमेशा दूर रहना चाहिए।

वेद मंत्रों में मृत्यु के दूत की भी व्याख्या की गई है कि निम्न कारणों से मुख्यतः मृत्यु न्योता देते हैं; ये है
1. विषादयुक्त जीवन
2. अत्यंत दरिद्रता में रहना
3. किसी भी कारण के पीड़ा युक्त बने रहना
4. शरीर में हमेशा या अक्सर थकान बने रहना ,आलस्य का जीवन
5. मूर्छा आ जाना
अथर्ववेद 8/8/1

इसलिए उक्त प्रकार के व्यक्ति जीते जी दूसरे के जीवन का आनंद छीन लेते है और ऐसे यमदूत से दूर रहा चाहिए।

मृत्यु के दूत ( पाश )
विषाद, दरिद्रता, पीड़ा , थकान व मूर्छा आदि मृत्यु के दूत है -अथर्ववेद 8/8/1.

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