जिहादी कठमुल्ले भारत के सभ्य समाज को भयभीत और प्रताड़ित करना चाहते हैं
- दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)
मौलाना तौकीर रजा और मौलाना मदनी खिलाफत आंदोलन को दोहराना चाहते हैं क्या ? जिसमें इस्लामिक समाज द्वारा असंख्य हिन्दुओ का कत्लेआम निर्ममतापूर्वक कर दिया गया था । इतिहास के पन्नों को खंगाला जाए तो इस्लामिक समाज को जब भी जम्हूरियत के नाम पर एकत्रित कर आंदोलन की बात कही गयी तो उसमें सबसे पहले काफिरो/गैर इस्लामिक समाज की हत्या का आह्वान किया गया। वक्फ बोर्ड संसोधन बिल का कार्य संवैधानिक प्रक्रिया से चल रहा है तो उसमें अराजकता फैलाना,रास्तो पर मुसलमानो को उतराना, भड़काऊ भाषण आदि देने के लिए २४ नवंबर को रामलीला मैदान के बहाने पूरी दिल्ली को जाम करने की योजना क्यों बनाई जा रही है। सम्भल जामा मज्जिद मामला जिसमें हिन्दू पक्ष दावा कर रहा है की वहां पहले हरी मंदिर था जिसको मुस्लिम अक्रान्ताओ ने तोड़कर मज्जिद का निर्माण किया जब इस वाद की सुनवाई माननीय न्यायालय में चल रही है तो जमीयत उलेमा ऐ हिन्द के मौलाना मदनी हिन्दुस्तान की जनता को भयभीत क्यों करना चाहते हैं। वह क्यों कह रहे हैं की इतिहास को उखाड़ोगे तो अच्छा नहीं होगा, देखा जाए तो मुस्लिम आक्रांताओं ने भारत भूमि को अनेकों बार लुटा लेकिन उससे भी लालच की भूख शांत नहीं हुई तो मुस्लिम समाज ने भारत भूमि को बांटकर अपना अलग देश पकिस्तान बना लिया, लेकिन इस्लामिक समाज अभी भी तृप्त नहीं हुआ वक्फ बोर्ड के नाम पर भारत की लाखो एकड़ भूमि इस्लामिक समाज ने कब्ज़ा रखी है । भारत के मंदिरो को तोड़कर बनी हुई मज्जिदो पर इस्लामिक समाज कब्ज़ा किए हुए है और उसके बाद भी मौलाना मदनी जैसे अनेको कट मुल्ले जिहादी भाषा का उपयोग कर हिन्दुओ को भयभीत कर भारत की अश्मिता को कुचलना चाहते हैं। निश्चित ही सैकड़ो वर्ष पूर्व जिस प्रकार इस्लामिक बर्बरता की गयी थी उसकी पुर्नावृति की योजनाए बनायी जा रही है जिसका राजनितिक लाभ लेने हेतु अनेको राजनितिक संगठन भी मौलानाओं का पीछे वाले दरवाजे से सहयोग कर रहे हैं । भारत के सभ्य समाज को सजग और सतर्क रहकर ऐसे जिहादी कट मुल्लो का विरोध करना चाहिए जो मजहब के नाम पर देश का माहौल खराब करना चाहते हैं।