महाभारत : विदेशों में प्रचार प्रसार ..
महाभारत-
संस्कृत श्लोक व हिन्दी अनुवाद।
महाभारत में से अनावश्यक, असम्भव, असभ्य और काल्पनिक मिलावट को हटा कर आदर्श स्वरूप में प्रकाशित किया है। लगभग 16000 श्लोकों में मूल कथा को संरक्षित रखा है।
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महाभारत : विदेशों में प्रचार प्रसार ..
भारतीय साहित्य की यह विशेषता रही है कि भारत के बाहर भी उसे भारत के जितना ही मान सम्मान मिला है। संस्कृत के अनेक ग्रन्थों ने विदेशों की यात्राएं की हैं जिनमें से एक है वेदव्यास कृत महाभारत .. महाभारत विदेशों में अनेक प्रकार से लोकप्रिय हुआ। कहीं उसके अंशो का अनुवाद किया गया तो उस पर नाट्य मंचन भी पेश किए गए जिनके कुछ उदाहरण यहाँ प्रस्तुत हैं –
1..जवाई नरेश जयबम के शासनकाल में उन्हीं के राजकवि पेनूलू ने महाभारत का अनुवाद ‘ बरत युद्ध ( भारत युद्ध ) के नाम से जावा की प्राचीन भाषा में किया साथ ही साथ उस देश में महाभारत के गद्य को रूपांतरित करके नाट्य मंचन भी होने लगा।
- मलय देश के साहित्य में भी महाभारत को स्थान मिला। उस देश में ‘ हिकायत पांडव लिम’ के नाम से महाभारत का अनुवाद किया गया।
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संग सत्यवान के नाम से मलय देश में सावित्री सत्यवान की कथा को अनुवादित किया गया जोकि महाभारत के वनपर्व का एक उपाख्यान है।
4.जर्मन विद्वान ‘ होल्ट्ज्मान् ‘ ने महाभारत का अध्ययन करने के पश्चात उस पर एक आलोचनात्मक ग्रन्थ लिखा जो ‘ द् महाभारत उंड सेन टेल ‘ के नाम से प्रकाशित हुआ।
5.डेनमार्क के डॉ सोयेन ने भी महाभारत का अनेक वर्षों तक अध्ययन करके उस ग्रन्थ में आने वाले नामों की एक बृहद वर्ण अनुक्रमणिका ( index ) तैयार की जिसका प्रकाशन सन् 1925 में हुआ ।
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मुगलों के शासनकाल में भी महाभारत का जादू कम नहीं हुआ। मुगल सम्राट अकबर ने महाभारत का अनुवाद ‘ रज्मनामा ‘ के नाम से फारसी भाषा में कराया। यह अनुवाद अब्दुल कादिर बदायूनी , नकीब खां द्वारा किया गया।
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चार्ल्स विल्किन्स ( Charles Wilkins) ने महाभारत का अध्ययन करते हुए श्रीमद्भगवद्गीता का अनुवाद अंग्रेजी में किया जो ‘ Dialogues of Kreeshna arjun ‘ के नाम से सन् 1785 में लंदन से प्रकाशित हुआ। बाद में इसी अंग्रेजी अनुवाद के आधार पर गीता फ्रेंच और जर्मन में भी अनुवाद हुआ।
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दक्षिण पूर्व एशिया के कंबोडिया देश के अंगकोरवाट नामक एक मंदिर में महाभारत से सम्बंधित प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं जिसके पत्थरों को तराश कर उन पर महाभारत के पात्रो को चित्रित किया गया है।
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चम्पा देश के भूतकालीन राजा प्रकाशधर्म ने अपने समय में एक अभिलेख उत्कीर्ण कराया था जिसमें महाभारत के अनुशासन पर्व के कथानक का अनुगुंजन है।
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इंडोनेशिया देश में महाभारत के एक पात्र कुंती को वहाँ देवी कुंती के नाम से संबोधित किया जाता है।
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