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क्या रिटायरमेंट आयु बढ़ाने का फैसले का उचित है?

आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी

01अप्रैल 2025 से लागू करने की योजना

सरकार ने लंबे समय से रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही थी और अब कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है। भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए केंद्रीय कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु में 2 साल की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। यह फैसला 01 अप्रैल 2025 से लागू होगा। इसका मतलब है कि 01अप्रैल 2025 के बाद रिटायर होने वाले सभी केंद्रीय कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। वे अब 60 के बजाय 62 साल पूरा करने पर सेवा से मुक्त हो सकेंगे।

अनुभव का लाभ

इस फैसले से लाखों सरकारी कर्मचारियों को फायदा बताया जा रहा है। वे अब 62 साल की उम्र तक नौकरी कर सकेंगे। यह कदम कर्मचारियों के हित में बताया जा रहा है ताकि वे और अधिक समय तक सेवा दे सकें और अपने अनुभव का लाभ देश को दे सकें। इस बात में दम है। पर उन्हें समय बढ़ाने के बजाय उनका स्वास्थ्य और क्षमता देखते हुए एक निश्चित मानदेय पर सलाहकार या परामर्शकार नियुक्त किया जाना ज्यादा समीचीन लगता है।

पैसे की बचत

इस फैसले से न केवल कर्मचारियों को लाभ होगा बल्कि सरकार को भी फायदा होगा। अनुभवी कर्मचारियों की सेवाएं लंबे समय तक मिलने से प्रशासन में सुधार होगा और नए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने का खर्च भी कम होगा। साथ ही पेंशन पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी क्योंकि कर्मचारी 2 साल बाद पेंशन लेना शुरू करेंगे।इस कानून लाने का उद्देश्य यह बताया जा रहा है कि अनुभवी कर्मचारियों की सेवाओं का लाभ लेना ही

रिटायरमेंट आयु बढ़ाने का एक कारण है । सरकार को लगता है कि अनुभवी कर्मचारियों की सेवाओं का लाभ और अधिक समय तक लिया जा सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि साथ ही रिटायरमेंट आयु बढ़ने से पेंशन पर होने वाला खर्च कम होगा क्योंकि कर्मचारी 2 साल बाद पेंशन लेना शुरू करेंगे। इस पहलू पर सरकार का सोचना गलत नहीं है। वह अपनी देनदारी से मुक्त तो नहीं हो सकता है। हां!उसे दो साल की मोहलत जरूर मिल जाएगी।

निरंतरता और गुणवत्ता

एक और कारण प्रशासनिक सुधार की दुहाई भी दिया जा रहा है कि अनुभवी कर्मचारियों के रहने से प्रशासन में निरंतरता बनी रहेगी और काम की गुणवत्ता में सुधार होगा। नए स्टाफ से सेवा की गुणवत्ता बाधित होगी। उसे सीखने और समझने में समय जाया होगा। इसलिए यह अवधि सरकार बढ़ाना चाह रही है । ये कोई स्थाई समाधान नहीं है। जब भी नया कर्मचारी आएगा उसे सीखने के लिए समय देना ही पड़ेगा। इसलिए सरकार का यह नजरिया तर्क संगत नहीं बैठ रहा है।

सामाजिक समरसता की हानि

इसके विपरीत लोग इस कानून का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस वृद्धि से सामाजिक संतुलन में भारी नुकसान भी हो सकता है । युवाओं को रोजगार केलिए दो साल और भटकना पड़ सकता है । उम्र बढ़ाने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं- युवाओं के लिए सरकारी लॉगइन में कम अवसर मिलेगा। अनेक युवा इस प्रयास में ओवर एज भी हो जाएंगे। इस आदेश से बेरोजगार नव युवकों का एक विशाल समूह अपने अस्तित्व की लड़ाई और दो साल लड़ने के लिए बाध्य हो जाएगा। यह जनतंत्र की भावना के प्रतिकूल है।

रक्षा क्षेत्र में यह अप्रयोज्य

रक्षा क्षेत्र के सेना, नौसेना और शस्त्रागार में अलग-अलग पद आयु होती है।इस क्षेत्र में बदलाव की संभावना कम है। एक तरफ अग्निवीर में चार साल की सेवा की अनुमति है तो दूसरी ओर 62 साल दोनों में कितना विरोधाभास है। यह न्याय संगत तर्क नहीं है।

सामाजिक पहलू युवा बेरोजगारो बढ़ेगी

पहले ही युवा बेरोजगारो की संख्या बढ रही है और जो भी नौकरियां हैं उन पर काबिज बूढ़े लोगों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर आप क्या हासिल करेंगे। यह कहाँ तक उचित होगा कि युवा बेटा या बेटी तो बेरोजगारी के चलते आत्महत्या करें और बूढ़े माता पिता बढ़ती उम्र में भी नौकरी करें। दूसरे युवा कर्मचारी का वेतन कम होता है और कार्य क्षमता ज्यादा जबकि उम्र दराज कर्मचारियों का वेतन ज्यादा होता है पर कार्यक्षमता कम। आप उतने ही पैसो में अधिक लोगों को रोजगार दे कई घरों में खुशी ला सकते हैं।

आयु सीमा 55 साल या कम करने पर कई युवाओं के रोज़गार में वृद्धि

मेरी समझ से 90 प्रतिशत नियमित कर्मचारियों को हटा कर उनके चार गुना दैनिक कर्मचारी रखे जाने चाहिए और हर एक को नियमित कर्मचारी के मुकाबले चौथाई दैनिक सेलरी दी जानी चाहिये तथा इतना काम आप को करके देना ही होगा कि शर्त लागू होनी चाहिए इससे चार गुना अधिक लोगो को रोजगार मिलेगा ओर कोई भी सरकारी काम पेंडिंग नही होगा। सरकारी विद्यालयों गांवों कस्बों और नगर पालिका का सफाई कर्मचारी लगभग 27 हजार पगार पाता हैं । वह खुद काम नहीं करता और अपनी एवज में कम पैसे में दूसरे डमी कर्मचारी को लगा देता है। विना कुछ किए वह आधी या आधी से अधिक वेतन लेकर दूसरे डमी कर्मचारी का नुकसान पहुंचा रहा है। वह अपना निजी दो सफाई कर्मचारी लगाकर 100,100 रुपये रोज के मौहल्ले और गांवों की गलियों और नालियां साफ करने के लिए लगा देता है। वह सफाई की झाड़ू से हाथ तक नही लगता हैं। यह सरकार की आंखों में धूल झोंकने जैसा ही है। इसलिए सरकार को बिना पेंशन के अस्थाई दैनिक कर्म ज्यादा फायदे मंद हो सकता है।

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।

मोबाइल नंबर +91 8630778321;

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