1946 में मजहब के नाम पर डायरेक्ट ऐक्शन में हिन्दूओं का नरसंहार कर अलग पाकिस्तान मांगने वाले दो करोड़ मुसलमान तो पाकिस्तान गये ही नहीं, अपितु भारत की छाती पर मूंग दलते हुए आज चालीस करोड़ हो गये। यानी 75 वर्ष में 20 गुना हो गये। और अपने जनसंख्या जिहाद, हिन्दुओं के धर्मांतरण और रोहिंग्या व बंग्लादेशियों की घुसपैठ करवा करवाने आदि की वर्तमान दर से अगले दस वर्षों में मुसलमान अस्सी करोड़ हो जायेंगे। ये मुस्लिम संगठनों की जन संख्या के बल पर सत्ता व देश कब्जाने की नीति का प्रमुख उद्देश्य भी है।
स्वतंत्रता के समय भारत में 36 करोड़ हिन्दू थे जो आज अस्सी करोड़ हैं यानी 75 वर्ष में हिन्दू केवल दुगने बढे और मुसलमान बीस गुने।
इस समय हिन्दू जनसंख्या स्थिरीकरण के दौर से गुजर रहे हैं वे केवल एक बचा पैदा कर रहे हैं और विदेशों का रूख भी इसलिए अगले दस वर्षों में भी हिन्दू केवल अस्सी करोड़ ही रहेंगे। जबकि
अब काम की बात 1948 में पाकिस्तान बनाने के लिए मुसलमानों ने डायरेक्ट ऐक्शन में हजारों की संख्या हिन्दुओं का नरसंहार किया और फिर पाकिस्तान बनते ही मुसलमानों ने फिर पाकिस्तान में भी हिन्दुओं का भारी नरसंहार किया जिनकी कटी हुई 18 हज़ार लाशें ट्रेनों से भारत पंहुची और लाखों लाशों को तो पाकिस्तान में सियार व गिद्धों ने नोच कर ठिकाने लगाया उनके दाह संस्कार के लिए भी कोई नहीं बचा। 1990 में मुसलमानों ने कश्मीर में मस्जिदों से भोंपू पर ऐलान कर हिंदुओं का नरसंहार किया। पांच लाख हिन्दुओं ने कश्मीर खाली किया। आज 2024 में फिर मुसलमान बंग्लादेश में हिन्दूओं का नरसंहार कर रहे हैं। बल्कि सूचना के अनुसार अबतक हजारों हिन्दूओं का नरसंहार और दो हजार से अधिक मंदिरों को लूट कर नष्ट किया गया है। ये सब मजहब के आधार पर ही हो रहा है इसमें धर्म तो है ही नहीं, केवल अधर्म ही है।
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