धारा 370 पर हो रही है विधायकों में मारपीट। जम्मू कश्मीर विधानसभा सत्र के दौरान गुरुवार को विधायकों के बीच जमकर मारपीट हुई। इसका कारण केवल एक था कि अभी हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में सत्ता में आने के लिए जनादेश पाने वाली नेशनल कांफ्रेंस के सदस्य खुर्शीद अहमद शेख ने सदन में संविधानिक अनुच्छेद 370 की वापसी का बैनर लहराया। बैनर पर लिखा था कि हम अनुच्छेद 370 और 35 ए ही बहाली और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं । भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इसका विरोध किया।
जब जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव हुए थे तो उस समय मैंने चुनाव परिणाम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यही आशंका व्यक्त की थी कि इस समय जो लोग नेशनल कांफ्रेंस की जीत को लोकतंत्र की जीत बता रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर जिस प्रकार कश्मीर की जनता ने नेशनल कांफ्रेंस को अपना समर्थन देकर सरकार बनाने की शक्ति प्रदान की है, वह लोकतंत्र को कमजोर करने वाली सिद्ध होगी।
कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की नई सरकार के आने के बाद जिस प्रकार कश्मीर में आतंकवाद फिर से अपनी दस्तक दे रहा है, वह तो चिंता का विषय है ही, साथ ही देश के संविधान को भी जम्मू कश्मीर में लागू होने से रोकने की विशेष व्यवस्था करने वाली धारा 370 और 35a को फिर से स्थापित करने की मांग बता रही है कि यहां के लोगों का देश के संविधान में भी कोई विश्वास नहीं है । उस अविश्वास पर मोहर लगाकर उन्होंने नई सरकार को अपना जनादेश दिया था।
इस सच को लिखने की शक्ति क्या किसी धर्मनिरपक्ष पत्रकार या नेता के भीतर है, शायद नहीं। यहां देश की एकता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस खिलवाड़ को भी लोकतंत्र की मजबूती कहकर महिमामंडित किया जा रहा है। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इसे उचित ठहराने का प्रयास किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कोई भी जनप्रतिनिधि किसी भी सदन में अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है । इन इन बातों को दोहराने वाले नेता और पत्रकार तथा देश विरोधी गतिविधियों का समर्थन करने वाली प्रत्येक आवाज समझ लो देशद्रोही है। इन छोटी बातों का आंख मूंद कर समर्थन करने वाले भी देशद्रोही हैं।
इस समय झूठी बातों में मन बहलाने के लिए काम करने वाले हमें कुछ दूसरा ही राग दिखाई दे रहे हैं। यूपी के अमेठी में एक शब्बीर उर्फ टाइगर नाम के मुसलमान ने अपनी बेटी सायमा की 8 नवंबर को होने वाली शादी में एक कार्ड ऐसा छपवा दिया जिसमें हिंदू देवी देवताओं के फोटो उसने छपवा दिए हैं। ऐसा काम उसने केवल अपने यहां आने वाले हिंदू मेहमानों को आकर्षित करने के लिए किया है। परंतु इसे हिंदू मुस्लिम एकता की विशाल कहा जा रहा है और उधर कश्मीर में हिंदू मुस्लिम एकता को विधानसभा के बीचों बीच नीलाम किया जा रहा है। जिससे नीलामी नहीं कहा जा रहा है। देशद्रोही लोगों का इसी प्रकार देश में बचाव किया जाता रहा है।
हमें एक ही साथ दो नजारे देखने को मिल रहे हैं? इन पर अपनी राय अवश्य रखें।
फोटो न्यूज़ 18 से साभार
डॉ राकेश कुमार आर्य