वैदिक मनीषी, कवि प्रोफेसर विजेंद्र सिंह आर्य की श्रद्धांजलि सभा हुई संपन्न
आज वैदिक मनीषी, कवि ,साहित्यकार स्वर्गीय प्रोफेसर विजेंद्र सिंह आर्य जी की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन उनके आवास ए -246 सेक्टर 37 ग्रेटर नोएडा में किया गया। सर्वप्रथम वैदिक शांतिकरणम् स्वस्तिवाचन के मंत्रों से विशेष हवन किया गया। विशेष हवन आचार्य विक्रमदेव शास्त्री व वानप्रस्थी देव मुनि जी ने संपादित कराया।
इसके पश्चात प्रोफेसर साहब के अनुज इतिहासकार डॉक्टर राकेश कुमार आर्य जी ने श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित सभी शुभचिंतकों का आभार व्यक्त किया। आर्य सागर खारी ने प्रोफेसर साहब का जीवन परिचय श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित जनों को सुनाया। आर्य सागर खारी ने प्रोफेसर विजेंदर आर्य जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री आर्य ने कहा कि -प्रोफेसर साहब का जीवन खुली किताब था। निश्छल हृदय था उनका ।उन्होंने जीवन में जो कहा वही किया ,वही जिया। उनकी कथनी और करनी एक थी, उनका साहित्य ईश्वर उपासना को ही समर्पित था। वह एक कर्मयोगी थे। उनकी यशकाया सदैव जीवित रहेगी। उन्होंने कहा कि जब वह किसी सभा को संबोधित करते थे तो एक अलग ही समा बंध जाया करता था। समाजसेवी और असल समिति के अध्यक्ष रईस राम भाटी जी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैंने प्रोफेसर साहब से बहुत कुछ सीखा है ।अपने विचारों से वह मंत्र मुग्ध कर देते थे। उनके आदर्श व्यक्तित्व के कारण उनके विचार और अधिक प्रभावी हो जाते थे। वह अपने आप में एक वैदिक मिशनरी थे। जिन्होंने जीवन को इसी दृष्टिकोण से जीने का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
बिजनौर से विशेष तौर पर श्रद्धांजलि सभा में आए आर्य जगत के विख्यात भजनोपदेशक कुलदीप विद्यार्थी जी ने कहा कि आर्य बंधु परिवार एक आदर्श परिवार है । मैंने जब-जब प्रोफेसर विजेन्द्र जी से वार्तालाप किया, मुझे कुछ ना कुछ नया सीखने को मिला । विद्यार्थी जी ने एक छोटी सी कहानी सुनाते हुए लोगों से कहा है कि हुलिया बेशक बदल जाए लेकिन ईमान नहीं बदलना चाहिए। ऐसा ही यह आर्य बंधु परिवार है। जो समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह पड़ी निष्ठा के साथ कर रहा है। ऐसे अनेकानेक शिक्षा संस्कार प्रोफेसर साहब ने अपने भाइयों को दिए। उन्होंने परिवार के लिए एक संरक्षक की भूमिका निभाई।जिसका प्रभाव उनके अनुज मेजर वीर सिंह आर्य, देवेंद्र सिंह आर्य एडवोकेट और इतिहासकार डॉक्टर राकेश कुमार आर्य के भीतर स्पष्ट दिखाई देता है।
इसके पश्चात प्रोफेसर साहब के छोटे भाई एडवोकेट देवेंद्र आर्य जी ने कहा कि यह शोक सभा नहीं है, यह श्रद्धांजलि सभा है ।उन्होंने मृत्यु के पश्चात नवीन शरीर धारण करने की आत्मा की यात्रा को यजुर्वेद व उपनिषदों के आधार पर तथ्यों व प्रमाणों से उपस्थित श्रद्धांजलि में सैकड़ो स्त्री पुरुषों के सामने प्रस्तुत किया ।जिससे मृत्यु के पश्चात के जीवन को लेकर जो भ्रांतियां हैं, उनका उन्मूलन हो सके। एडवोकेट देवेंद्र आर्य जी का व्याख्यान बहुत गहन गंभीर रहा। उन्होंने अपने पूज्य दिवंगत भाई के कृतित्व व्यक्तित्व पर भी एक लेख के माध्यम से प्रकाश डाला। लेख की भाषा बहुत ही उत्कृष्ट साहित्यिक थी। वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषिपाल भाटी ने भी प्रोफेसर साहब को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके साथ अपना एक संस्मरण साझा करते हुए कहा कि वह अक्सर उनके पास फोन करके उनके कुशल क्षेम पूछते थे। यह उनकी महानता का ही सूचक था। राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने भी स्वर्गीय विजेंद्र आर्य जी को श्रद्धांजलि अर्पित की । उन्होंने कहा उनका हृदय बच्चे की तरह पवित्र था। वह कवि हृदय थे। जिसके भीतर निष्कपटता भरी थी। उनके आदर्श जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है।
इसी क्रम में हिंदू महासभा के बाबा नंदकिशोर मिश्रा ने आर्य परिवार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह परिवार संस्कार प्रेमी परिवार है ,जो कि अपने पूर्वजों के प्रति बहुत ही श्रद्धा भाव रखता है। आज इसी प्रकार के श्रद्धा भाव के प्रचार प्रसार करने की आवश्यकता है। जिससे कि वैदिक संस्कारों की पुनः स्थापना हो सके। स्वामी ओमानन्द जी महाराज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्र का निर्माण संस्कारों से होता है, जो परिवार राष्ट्र की इस आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए समर्पित रहते हैं, वह विशिष्ट परिवार हो जाते हैं । आर्य बंधु परिवार को विशिष्टता देने में प्रोफेसर विजेंद्र सिंह आर्य की विशेष भूमिका रही। जिसे हम कभी भुला नहीं सकते। प्रोफेसर आर्य की ममेरी बहन श्रीमती कमलेश देवी ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने श्री आर्य को एक श्रेष्ठ भाई से बढ़कर अपने गुरु के रूप में माना। क्योंकि उन्होंने बहुत कुछ उन्हें सीखने समझने के लिए दिया था। इस अवसर पर विभिन्न संगठनों में सक्रियता से जुड़कर राष्ट्र सेवा में संलग्न रहने वाले और उगता भारत के सह संपादक राकेश आर्य बागपत ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि श्री आर्य ने उन्हें बड़ी विनम्रता से कई बातें सिखाईं । जिन्हें वह जीवन भर कभी भुला नहीं पाएंगे।
श्रद्धांजलि सभा के कार्यक्रम का संचालन डॉ राकेश कुमार आर्य ने किया। इस अवसर पर अधिवक्ता बृजपाल सिंह भाटी, धर्मवीर सिंह नागर, दयानंद नागर, हीरेंद्रकांत शर्मा, रविंदर सिंह, राजेश भाटी, सरपंच रामेश्वर सिंह, प्रताप सिंह आर्य, सत्यवीर सिंह आर्य, आर्य बेगराज नागर, बाबूराम आर्य आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के उपाध्यक्ष महावीर सिंह आर्य, उनके बड़े भाई बलबीर सिंह आर्य,उपाध्यक्ष मुकेश नागर एडवोकेट, कोषाध्यक्ष आर्य दिवाकर नागर, मंत्री धर्मवीर सिंह आर्य, आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश के सचिव आर्य वीरेश भाटी, गुरुकुल मुर्शदपुर के प्रबंधक और आर्यदीप पब्लिक स्कूल के संस्थापक विजेंद्र सिंह आर्य , कमल सिंह आर्य, इंजीनियर श्यामवीर सिंह भाटी, कमल सिंह आर्य, राघवेंद्र सिंह सोलंकी, सतीश शास्त्री, सतीश नंबरदार, प्राचार्य अभय प्रकाश आर्य, डॉ आनंद प्रकाश आर्य, कैप्टन सुरेश चंद, बाबूराम हवलदार, रंगीलाल आर्य , आर्य समाज बिसरख के प्रधान केशव आर्य, यादराम आर्य, सत्येंद्र सिंह आर्य, ओमेंद्र कुमार आर्य, विजेंद्र कुमार त्यागी, जितेंद्र विकल्, चाहत राम पूर्व प्रशासनिक अधिकारी लोक निर्माण विभाग, निरपाल सिंह भाटी, परमिंदर भाटी एडवोकेट, राजेश नागर , विजयपाल सिंह नागर , चरण सिंह नेताजी, महेंद्र सिंह आर्य, ओमवीर सिंह भाटी , कृपाल सिंह भाटी, सत्यवीर सिंह के अलावा श्री आर्य के परिजन अमृत सिंह आर्य, आदित्य आर्य, सौरभ सिंह आर्य, वरुण आर्य, अमन आर्य, आशीष आर्य, सुधीर कुमार बंसल, सुबोध कुमार बंसल, नरेश भाटी, अनिल भाटी , संजीव छोकर,अस्मिता श्रीमती कुसुम, श्रीमती कविता आदि सहित बड़ी संख्या में जन उपस्थित थे।ज्ञात रहे कि श्री आर्य का विगत एक नवंबर को हृदयाघात के कारण देहांत हो गया था।