बाणों से कोई बींध दे, फरसा से दे काट।
सबसे भयंकर होत है, दुर्वचनों का घाव।।1।।
धर्म अर्थ का कीजिए , चिंतन प्रातः काल।
नित्यकर्म और आचमन, संध्या करो हर हाल।।2।।
भैया होता भाव का , शत्रु का हो काल।
भुजा के सम होत है , रहता बनाकर ढाल।। 3।।
काल बुरे को देखकर , दिया कबीरा रोय।
अच्छे दिन भी आएंगे , रोक सके ना कोय।।4।।
लीला अपरंपार है , अद्भुत वह करतार।
वही कर्मफल देत है, वही जगत आधार।। 5।।
डॉ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत