ये क्या है…?
एक ओर ‘असत्य की जीत होकर रहेगी, अन्याय की जीत हो कर रहेगी’ और उसके तुरंत बाद ‘बोलो सियापति राम चंद्र भगवान की जय’!
इसका क्या अर्थ है? क्या भगवान श्री राम ने असत्य और अन्याय को जिताया था? क्या बजरंगबली अन्याय के साथ लड़े थे? क्या भगवान वाल्मिकी का महाकाव्य ‘रामायण’ असत्य पर आधारित और अन्यायकारी है?
कल विजय दशमी के पवन दिवस से यह वीडियो तेजी से वायरल है जो हिंदू समाज के अंतर्मन को बुरी तरह से कचोट रहा है! समाज पूछ रहा है कि क्या राजधानी की मुख्यमंत्री वाकई असत्य और अन्याय की विजय के साथ हैं? कहीं विजय दशमी के पवन मंच पर मुख्य मंत्री के सरनेम ‘मारलेना’ (यानि कार्लमार्क्स और लेनिन) का भूत उन पर सवार हो कर उन्हें असत्य और अन्याय की ओर तो नहीं ले गया?
दिल्ली की माननीय मुख्यमंत्री @AtishiAAP को इस वीडियो की सच्चाई से देशवासियों को अवगत कराना चाहिए। यदि यह विडियो झूठा है तो उस पर कार्यवाही करनी चाहिए और यदि सही है तो उन्हें बिना हिचक हिंदू समाज से अविलंब क्षमा मांगनी चाहिए। माफी आआपा अध्यक्ष श्री @ArvindKejriwal जी को भी मांगनी चाहिए जो दिल्ली सरकार को अपने रिमोट से केंट्रोल चला रहे हैं। आशा है उन्होंने तो शायद ऐसा वक्तव्य देने के लिए मुख्यमंत्री जी को नहीं कहा होगा!
यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो यही माना जायेगा कि वे भी इंडी गठबन्धन के उन सभी नेताओं और पार्टियों के उस एजेंडे का अभिन्न हिस्सा हैं जो हिंदू देवी देवताओं को गाली देते हैं, महान् हिंदू धर्मग्रंथों को जलाते हैं, गौ हत्यारों के साथ खड़े होते हैं, सनातन को समाप्त करने का दिवास्वप्न देखते हैं।
विनोद बंसल, राष्ट्रीय प्रवक्ता – विहिप
https://x.com/vinod_bansal/status/1845472593433804803?t=BOH0Xw-HM1SWtabBZUBVtQ&s=19
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One reply on “क्या भगवान श्री राम ने असत्य और अन्याय को जिताया था, आतिशी जी स्पष्ट करें*”
वेदो मे ईश्वर क़ो सर्वव्यापक बताया है , ईश्वर नहीं तो जन्म लेता और नहीं मरता, क्योंकि जन्म लेने वाले क़ो एक दिन यह प्रकृति से बना देह त्यागना ही पड़ता, श्रीराम तो एक राजकुमार थे उन्होंने तो वन मे रहकर बहुत सुधार किये, ये तो अक्षमात ही हुआ कि ज़ब रावण की बहन सुपंखा राम लक्ष्मण के पास आई और राम लक्ष्मण नें उनकी हवस क़ो देखते हुए पहले इससे विनोद (मजाक किया ) और ज़ब वह सीता पर झपटी तो लक्षण नें राम के इसारे पर रावण की बहन सुपनखा के नाक, कान काट लिए ( अंग- भंग कर दिये ) तो ये रावण से संघर्ष हुआ था, आज भी कोई किसी क़ी बहन के साथ इस प्रकार का कार्य कर देवे तो उसके माता- पिता व भाई यदि होंगे तो किस प्रकार से संघर्ष करेंगे? ये विचारणीय विषय है,