हमें अपने श्वास पर एकाग्र क्यों होना चाहिए?
वायु के क्या गुण और शक्तियाँ हैं?
श्वास पर पूरा नियंत्रण किस प्रकार सबके लिए लाभदायक है?
घृृषुं पावकं वनिनं विचर्षणिं रुद्रस्य सूनुं हवसा गृणीमसि।
रजस्तुरं तवसं मारुतं गणमृजीषिणं वृषणं सश्चत श्रिये।।
ऋग्वेद मन्त्र 1.64.12 (कुल मन्त्र 744)
(घृृषुम्) शत्रुओं का नाशक (पावकम्) पवित्र करने वाला (वनिनम्) सफलता के लिए संघर्ष करने वाला (विचर्षणिम्) हमें सक्रिय रहने की प्रेरणा देने वाला (रुद्रस्य) रूद्र का, परमात्मा का (सूनुम्) सन्तान (हवसा) वाणियों के साथ, त्याग के साथ (गृणीमसि) हम महिमामंडित, प्रशंसा करते हैं (रजस्तुरम्) रज का नाशक (अहंकार और स्वार्थ का) (तवसम्) हमें शक्तिशाली बनाने वाला (मारुतम्) वायु का (गणम्) समूह (ऋजीषिणम्) सामान्य मार्ग से गौरवशाली सम्पदा उपलब्ध कराने वाला (वृषणम्) सब पर (सुखों और प्रसन्नता की) वर्षा करने वाला (सश्चत) जानता है और प्राप्त करता है (श्रिये) सुन्दरता, सम्पन्नता और शान के लिए।
व्याख्या:-
हमें अपने श्वास पर एकाग्र क्यों होना चाहिए?
वायु के क्या गुण और शक्तियाँ हैं?
जो वायु हमारे भीतर प्रवेश करती है वह हमारे जीवन के लिए पोषक श्वास होता है। वायु के गुण और शक्तियाँ निश्चित रूप से हमें वही गुण और शक्तियाँ अपने जीवन में विकसित करने में सहायता करती है:-
1. घृृषुम् – वायु शत्रुओं की नाशक होती है।
2. पावकम् – वायु पवित्र करने वाली होती है।
3. विचर्षणिम् – वायु हमें सक्रिय रहने की प्रेरणा देती है।
4. रजस्तुरम् – वायु रज (अहंकार और स्वार्थ का) का नाशक है।
5. तवसम् – वायु हमें शक्तिशाली बनाती है।
6. ऋजीषिणम् – वायु सामान्य मार्ग से गौरवशाली सम्पदा उपलब्ध कराती है।
7. वृषणम् – वायु सब पर (सुखों और प्रसन्नता की) वर्षा करती है।
हम अपनी वाणियों और त्याग कार्यों से रूद्र की सन्तान वायु की स्तुति और प्रशंसा करते हैं। अतः हमें नियमित एकाग्रता और ध्यान-साधना के माध्यम से वायु के सभी वर्गों को जानना और उन्हें प्राप्त करना चाहिए।
जीवन में सार्थकता: –
श्वास पर पूरा नियंत्रण किस प्रकार सबके लिए लाभदायक है?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक योगी के जीवन में वायु एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तत्त्व है, परन्तु एक भौतिकवादी जीवन में भी इसके महत्त्व को किनारे नहीं किया जा सकता है। इस जीवन शक्ति का महिमागान करने के दो प्रकार हैं:- (क) वाणियों के द्वारा, (ख) त्याग कार्यों के द्वारा।
महिमागान से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है कि हम अपने श्वास पर पूरा नियंत्रण करें। प्राणायाम और ध्यान-साधना के अभ्यासों की सहायता से जीवन के किसी भी क्षेत्र में लोग अपार लाभ प्राप्त कर सकते हैं, चाहे वह छात्र जीवन हो, व्यापारिक जीवन, सेवा का जीवन, वैज्ञानिक का जीवन या कोई राजनीतिक जीवन।
अपने आध्यात्मिक दायित्व को समझें
आप वैदिक ज्ञान का नियमित स्वाध्याय कर रहे हैं, आपका यह आध्यात्मिक दायित्व बनता है कि इस ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचायें जिससे उन्हें भी नियमित रूप से वेद स्वाध्याय की प्रेरणा प्राप्त हो। वैदिक विवेक किसी एक विशेष मत, पंथ या समुदाय के लिए सीमित नहीं है। वेद में मानवता के उत्थान के लिए समस्त सत्य विज्ञान समाहित है।
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