मुम्बई: महर्षि दयानन्द सरस्वती के 200वें जन्मदिन और आर्य समाज के 150वें स्थापना वर्ष के उपलक्ष्य में, भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा घोषित द्विवार्षिक “ज्ञानज्योति पर्व” के अन्तर्गत एक ऐतिहासिक पहल की गई। आर्य प्रतिनिधि सभा मुम्बई के प्रधान श्री वेदप्रकाश गर्ग, आर्य वैदिक विद्वान पण्डित नागेश चन्द्र शर्मा, स्थानीय विधायक श्री प्रकाश वैकुंठ फातर्पेकर, और समाजसेवी श्री अमूधन तमिल के प्रयास से मुम्बई के चेम्बूर स्थित डायमंड गार्डन में महर्षि दयानन्द सरस्वती का भव्य स्मारक बनाया गया।
इस स्मारक का अनावरण 16 अक्टूबर 2024 को सैकड़ों आर्य समाज के अनुयायियों और पतञ्जलि योग समिति के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा के पदाधिकारी और मुम्बई के विभिन्न आर्य समाजों के सदस्य विशेष रूप से उपस्थित थे। समारोह का कई प्रमुख मीडिया चैनल्स द्वारा सीधा प्रसारण किया गया और समाचार पत्रों ने भी इसे प्रमुखता से कवर किया।
समारोह को संबोधित करते हुए आर्य वैदिक विद्वान पण्डित नागेश चन्द्र शर्मा ने महर्षि दयानन्द के योगदान और उनके भारत की जनता पर किए गए उपकारों का स्मरण कराया। पण्डित नागेश जी ने बताया कि महर्षि दयानन्द एक युगान्तरकारी महापुरुष थे जिन्होंने शिक्षा, समाज, राष्ट्र, धर्म, ईश्वर, वेद, संस्कार, संस्कृति, एवम् मानव जीवन के सम्पूर्ण उत्थान का कार्यक्रम तैयार किया।
उन्होंने जहाँ एक ओर समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए एक धुंआधार कार्यक्रम चलाया वहीं दूसरी और राष्ट्र को पराधीनता से मुक्त करने के लिए स्वतन्त्रता के समग्र आन्दोलन की रूपरेखा रखी।
स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग की बात हो या स्वदेशी राज्य की, स्वसंस्कृति का संरक्षण हो या स्वाभिमान का, सभी मोर्चों पर स्वामी जी ने संघर्ष का आरम्भ किया। अपने भाषणों, लेखों, समाचार पत्रों और ग्रन्थों के माध्यम से सम्पूर्ण क्रान्ति का शंखनाद किया और आर्य समाज की स्थापना करके अंग्रेजी शासन के साम्राज्य के ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी जिसने भविष्य में देश की स्वतन्त्रता के आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने इस अवसर को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा, “महर्षि दयानन्द सरस्वती का जीवन और उनकी शिक्षाएँ न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। यह स्मारक उनकी महान विचारधारा का प्रतीक है, जो सदियों तक समाज को मार्गदर्शन देता रहेगा।”
इस स्मारक के निर्माण का उद्देश्य महर्षि दयानन्द की शिक्षाओं और विचारधारा को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों तक पहुँचाना है, ताकि समाज के सभी वर्ग उनके सिद्धांतों का अनुसरण कर सकें।
शिवसेना (UBT) विधायक श्री प्रकाश वैकुंठ फातर्पेकर जी ने इसे अपना सौभाग्य बताते हुए महर्षि के आदर्शों पर चलने का आवाहन किया।
आर्य समाज चेम्बूर और आर्य प्रतिनिधि सभा मुम्बई के प्रधान श्री वेदप्रकाश गर्ग जी ने महर्षि दयानन्द सरस्वती के सुधारवादी कार्यो जैसे – सतीप्रथा का विरोध, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का आग्रह, स्त्री शिक्षा का आग्रह, जातिवाद का त्याग, वेदों के पठन-पाठन का आग्रह आदि का उल्लेख करते हुए उन्हें अपनी श्रद्धाञ्जलि समर्पित की और सभी आर्यजनों को आर्य समाज के 150वें वर्ष में महर्षि के मन्तव्य को जन-जन तक पहुँचाने का आग्रह किया।
महर्षि के नारी समाज पर किए गए उपकारों का स्मरण कराते हुए वैदिक विदुषी श्रीमती प्रीती शर्मा वेदालंकार जी ने कहा कि महर्षि ने यदि कन्याओं को पुनः वेदादि पढ़ने का अधिकार न दिलाया होता तो वे कभी भी गुरुकुल में जाकर वेद दर्शन आदि का अध्ययन न कर पातीं। ऋषि का यह महान कार्य आज स्त्रियों के प्रत्येक क्षेत्र में बढ़चढ़कर भाग लेने से परिलक्षित हो रहा है। महर्षि का मानना था कि पुरुष के शिक्षित होने से एक व्यक्ति शिक्षित होता है परन्तु स्त्री के शिक्षित होने से परिवार और पीढ़ियाँ शिक्षित हो जाती हैं।
डा• अनीता शास्त्री जी ने अपने शिक्षण के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि ऋषि के द्वारा स्थापित आर्य समाज के सम्पर्क में आकर उनका जीवन सुधर गया।
सुप्रसिद्ध समाज सेविका श्रीमती पद्मा जी ने भी महर्षि को श्रद्धाञ्जलि दी।
आर्य प्रतिनिधि सभा मुम्बई के नव निर्वाचित प्रधान श्री हरीश आर्य जी ने सभी को आर्य समाज की उन्नति के लिए मिलकर प्रयास करने का निवेदन किया।
आर्य प्रतिनिधि सभा मुम्बई के उपप्रधान श्री अरुण अबरोल, महामन्त्री श्री विजय गौतम, आर्य समाज नेरूल के संस्थापक और संरक्षक डा• तुलसीराम बांगिया, एवम् पतञ्जलि योग समिति के मुम्बई प्रमुख श्री सुरेश यादव जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए और महर्षि दयानन्द जी के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किए।
अन्त में आर्य समाज चेम्बूर के मन्त्री श्री वीरेन्द्र विरमानी जी ने सभी का धन्यवाद किया।
इस अवसर पर आर्य समाज वाशी के प्रधान श्री भीम जी रूपाणी, कोषाध्यक्ष हरिपाल सिंह, राजकुमार दीवान, अशोक गुलाटी, राजकुमार गुप्त, ऊषा सिंह, रेखा जी, अन्जलि जी, श्रीमती शुक्ला,
आर्य समाज चेम्बूर से श्री वेद गुगलानी, सुधीर गुगलानी, अशोक गुलाटी, देवेन्द्र ऐलाबादी, यशपाल मेहता, विनोद विरमानी, अनिल त्रिपाठी, वन्दना त्रिपाठी, सुषमा चोपड़ा, अनुराधा जी, अन्धेरी से श्री दीपक रेलन, घाटकोपर आर्य समाज से विनोद वेलाणी, महेश वेलाणी, प्रभूभाई वेलाणी, पतञ्जलि योग समिति से प्रभाकर म्हात्रे आदि अनेक महानुभाव उपस्थित रहे।