अपने महापुरुषों के चरित्र को ठीक से समझना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता : स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज

oplus_0

ग्रेटर नोएडा ( विशेष संवाददाता ) अंसल सोसाइटी में चले पांच दिवसीय ऋग्वेद पारायण यज्ञ में मुख्य व्याख्याता के रूप में उपस्थित रहे अंतरराष्ट्रीय आर्य सन्यासी संत स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज ने अंतिम दिन उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि श्री कृष्ण जी के चरित्र को बिगाड़ कर हमारे पाखंडियों ने बहुत बड़ा अपराध किया है।

oplus_262144
oplus_262144
oplus_262144
oplus_262144

oplus_262176

उन्होंने कहा कि मुस्लिमों ने अपने चरित्र को छिपाने के लिए कृष्ण जी को बदनाम करवाने हेतु उन पर उल्टा सीधा लिखवाया है। आज समय आ गया है कि हम इस्लाम या किसी भी धर्म की इस प्रकार की चाल को सफल न होने दें। स्वामी जी महाराज ने कहा कि द केरल स्टोरी का निष्कर्ष यही है कि हम स्वयं अपने बच्चों को अपने धर्म के बारे में बताएं। प्रतिदिन अपने बच्चों को अपने महापुरुषों के सदाचरण और उनकी सच्चरित्रता की कहानी बताने का प्रयास करें। जिससे उनके भीतर देश, धर्म और संस्कृति पर बलिदान होने की भावना में वृद्धि हो। उन्होंने कहा कि हमने अपने महापुरुषों को बदनाम करके बहुत बड़ा अपराध किया है।
सचमुच श्री कृष्ण जी जैसे महान योगी और ब्रह्मचारी के चरित्र को जिस प्रकार लांछित किया गया है उससे हम समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहे हैं। उनके साथ जिस प्रकार राधा नाम की किसी काल्पनिक महिला को जोड़ा गया है, वह अत्यंत शर्मनाक है। किसी भी ग्रंथ में राधा का उल्लेख नहीं मिलता। विष्णु पुराण, हरिवंश पुराण या भागवत पुराण आप पढ़ कर देखिए, कहीं पर भी आपको राधा का नाम नहीं मिलेगा।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि श्री कृष्ण जी की एकमात्र पत्नी रुक्मणी है । अच्छी बात यही होगी कि हम रुक्मणी को ही दिखाने का प्रयास करें। लेकिन लंपट और व्यभिचारी लोगों ने श्री कृष्ण जी की हजारों गोपिकाएं दिखाकर उनसे प्रत्येक से 11 है 11 बच्चों की उत्पत्ति दिखाकर कृष्ण जी के चरित्र को अत्यंत निंदनीय कर दिया है। जिसकी पोल खोलने का काम केवल आर्य समाज करता है। मैंने कई बार पाखंडियों को इस विषय को लेकर शास्त्रार्थ करने की चुनौती दी है। उनसे कहा है कि वह टीवी पर आएं और अपनी बात रखकर उसे साबित करें। स्वामी जी महाराज ने उपस्थित जन समुदाय का आवाहन करते हुए कहा कि हमें अब रोजी रोटी से बाहर निकलने की आवश्यकता है। देश के लिए सोचने धर्म के लिए मिटने की भावना हमारे भीतर होनी चाहिए. इसके लिए आपका मार्गदर्शन सत्यार्थ प्रकाश कर सकता है,। उन्होंने कहा कि सत्याग्रह प्रकाश दुनिया का एटम बम है। जिसे उर्दू में नूर ए हकीकत कहा जाता है। जिसे पढ़ कर मौलाना फाजिल पंडित देव प्रकाश बन गए थे। जिन्होंने ‘ मंदिरों की लूट’ नामक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक को आज के आर्य समाजियों को ही नहीं बल्कि प्रत्येक सनातनी को पढ़ना चाहिए । स्वामी जी महाराज ने कहा कि कोई भी आर्य कभी धर्म परिवर्तन नहीं करता, क्योंकि उसके भीतर अपने धर्म के मर्म को समझने की मजबूती आ जाती है। आर्य बनने पर व्यक्ति धर्म ध्वजवाहक बन जाता है। इसलिए स्वामी दयानंद जी महाराज के सत्यार्थ प्रकाश को पढ़ने वाला व्यक्ति धर्म रक्षक और संस्कृति रक्षक बनने के संकल्प से ओतप्रोत हो जाता है।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि आर्य समाज ही वह क्रांतिकारी संगठन है, जिसने इस्लाम को हर मुद्दे पर ईंट का जवाब पत्थर से दिया है। फिर चाहे वह धर्मशास्त्रों की व्याख्या का मुद्दा हो या सामाजिक और धार्मिक मुद्दा हो। जबकि उगता भारत के अध्यक्ष श्री देवेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि वैदिक संस्कृति से राष्ट्र की सुरक्षा संभव है। यदि वैदिक मूल्यों को तिलांजलि दी जाती है तो देश की एकता अखंडता को सुरक्षित रखना असंभव हो जाएगा।
कार्यक्रम का समापन करते हुए पांच दिवसीय यज्ञ के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर रहे देव मुनि जी महाराज ने कहा कि पांच यज्ञ की परंपरा को अपनाकर ही हम घरों में मान मर्यादा स्थापित कर सकते हैं । जिसे अपनाकर समाज राष्ट्र और अंत में विश्व शांति की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है।
श्री कृष्ण जी और उनसे पूर्व श्री रामचंद्र जी जैसे महापुरुषों ने भारत की इसी वैदिक सनातन परंपरा को अपनाया और अपने जीवन को धन्य किया। आज उनकी पूजा करने वाले लोगों को उनके चरित्र की पूजा करनी चाहिए।

Comment: