धार्मिक पाखंड बढ़ाना देश के लिए घातक मनोवृति का परिचायक :स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज
ग्रेटर नोएडा ( विशेष संवाददाता) यहां अंसल सोसाइटी में चल रहे ऋग्वेद पारायण यज्ञ के चौथे दिन उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए आर्य जगत के सुप्रसिद्ध संन्यासी स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार देश में इस समय धार्मिक पाखंड बढ़ रहा है उसे देश के लिए घातक मनोवृति का परिचय माना जाना चाहिए । स्वामी जी महाराज ने कहा कि पूर्व में भी देश इसी मनोवृति के कारण देश गुलाम हुआ था, आज फिर जिस प्रकार धार्मिक पाखंड के नाम पर दिन प्रतिदिन कथित गुरुओं की संख्या बढ़ती जा रही है , वह देश और समाज के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि वेद में कहीं पर भी इस प्रकार के धार्मिक पाखंड की अनुमति नहीं है, परंतु लोगों ने वेदों को ही आधार बनाकर जनसाधारण का मूर्ख बनाकर अपने स्वार्थ सिद्ध करने
का चक्र चला रखा है। जिसमें बहुत से लोग फंसते चले जा रहे हैं । स्वामी जी महाराज ने कहा कि ईसाइयत और इस्लाम दोनों ही हमारे इस पाखंड का मजाक उड़ाते हैं और दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा यह धार्मिक पाखंड इन दोनों विधर्मी मजहबों को देश में बढ़ाने या फैलाने का एक अवसर भी बन जाता है।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि आज देश का कोई भी प्रांत ऐसा नहीं है, जहां पर धार्मिक पाखंड का लाभ दूसरे मजहब के लोग ना उठा रहे हों। स्वामी जी महाराज ने कहा कि हिंदू अपनी मूर्खताओं को त्यागने के लिए तैयार नहीं है। उसी का परिणाम है कि यह आज भी गहरी नींद में सोया हुआ है। आर्य समाज निरंतर इसे जगाने का काम करता रहा है। परंतु आज यह जगाने वालों को ही गाली देने का काम कर रहा है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंदू समाज अपनी परंपरागत मूर्खताओं से शिक्षा लेने को तैयार नहीं है।
उन्होंने इतिहास के कई संदर्भ सुना सुनाकर लोगों को इस बात के प्रति सचेत किया कि जिन मूर्खताओं और गलतियों को हम अतीत में दोहरा दोहरा कर गुलाम हुए उसी को आज भी दोहराया जा रहा है। लोग इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि इस्लाम को मानने वाले लोग कितनी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, अपने ही लोग इस्लाम के समर्थन में जाकर खड़े हो रहे हैं। ईसाई मिशनरी किस प्रकार देश में सक्रिय होकर अपना काम कर रही है, हिंदू उस ओर भी देखने समझने और कुछ करने के लिए तैयार नहीं दिखाई देता।
कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए उगता भारत के अध्यक्ष श्री देवेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि सावरकर जी ने जिस प्रकार सद्गुण विकृति को भारत का दुर्भाग्य बताया है, इस बात को आज हमें समझने की आवश्यकता है । हम अपनी उदारता या धार्मिक पाखंड या दूसरों को अपेक्षा से अधिक सहयोग करते रहने की गलतियों के कारण गुलाम हुए। आज हमें इतिहास से शिक्षा लेने की आवश्यकता है। जबकि सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का इतिहास अत्यंत गौरवपूर्ण है। परंतु इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अनेक अवसरों पर हमारी गलतियों ने हीं हमें पराजित कराया। इतिहास उन गलतियों से शिक्षा लेने के लिए बनता है। इसलिए आज अतीत की गलतियों से सीख कर भविष्य की मजबूत नींव रखने का समय है।
यज्ञ के ब्रह्मा डॉ व्यास नंदन शास्त्री ने इस अवसर पर अनेक विषयों की सुंदर व्याख्या की और उपस्थित जन गण को वेद के मार्ग से जुड़कर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि वेद वैज्ञानिक ग्रंथ हैं । संसार का जितना भी ज्ञान विज्ञान है वह सब वेदों में मिलता है। इसलिए हमें ज्ञान विज्ञान के लिए इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं है बल्कि ईश्वरीय वाणी वेद को ही पढ़ने और समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज का भारतीय जनमानस अपने वेदों से न जुड़कर अन्य मजहबी पुस्तकों से ज्ञान विज्ञान लेने का प्रयास कर रहा है।