एक सच्चा मुसलमान बच्चा
ट्रेन में अकेले सफर कर रहे बच्चे को देखकर, मुझे मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ की याद आ गयी, और
ये बच्चा मुझे हमीद की तरह लगने लगा.
इसे देखकर मेरे अंदर उत्सुकता बढ़ी और मैंने अकेले सफ़र करने का कारण पूछा, बच्चा हिचकते हुए बोला- “खाला के यहाँ रहकर पढाई करता हूं, अभी छुट्टी है अम्मी के पास जा रहा हूं।”
मैंने पूछा अब्बु क्या करते हैं तुम्हारे ?
बच्चा कुछ देर शांत मेरी तरफ देखता रहा फिर चेहरा घुमा कर ट्रेन की खिड़की से बाहर देखने लगा . मुझे लगा शायद उसके पिता दुनिया में नही हैं मेरे सवाल से बच्चा दुखी हो गया
मैंने कहा- “सॉरी बच्चा, आपके अब्बु का इंतकाल हो गया है क्या?”
बच्चा झट से बोला, नही अब्बु हैं
तो
मैंने पूछा तो कहां है?
बच्चा का चेहरा एकदम उदास हो गया वो आस पास ट्रेन में बैठे लोगों को देखने लगा और धीरे से मुझसे कहा— “पिछले साल अब्बु को पुलिस पकड़ के ले गयी, अम्मी कहती है, अब्बू ने चोरी नहीं की… उन्हे झूठा फंसाया गया है…!”
तभी
TT आया और वो बच्चा डर गया . उसके पास टिकट नहीं था और वो अकेला ही ट्रैवल कर रहा था . मैंने tt को पैसे देकर उसका टिकट बनवाया और उस बच्चे को गारंटी ली . tt चला गया . “शुक्रिया चाचा“, बच्चे ने मुझसे बोला और ऐसा कहकर वो बर्थ में लेट के सो गया.
मुझे अपने द्वारा किए सत्कर्म और इंसानियत पर बहुत गर्व और ख़ुशी महसूस हुई . आसपास के हिंदू यात्री भी मेरी सहृदयता की भूरि भूरि प्रशंसा करने लगे.
मैं और अन्य यात्री भी थोड़ी देर में सो गये।
सुबह लगभग चार बजे चीख चिल्लाहट से मेरी नींद खुली तो पता चला कि डब्बे में कई महिलाओं के पर्स, मोबाइल और कान के झुमके आदि चोरी हो गये थे. मेरा भी मोबाइल नदारद था . मेरा पर्स भी ज़मीन पर पड़ा था. मैंने पर्स खोल कर देखा तो उसका सब सामान ग़ायब था और अंदर बस एक काग़ज़ की चिट रखी थी .
चिट खोल कर पढ़ी तो उसमें लिखा था –
“ओ भो@₹@वाले चाचा , तुम काफिर लोग हो ही पूरे उल्लू। हज़ारों बार काटे गए हो, लेकिन जाली टोपी देख कर तुम्हारे सर पर SECULAR बनने का भूत चढ़ ही जाता है.. मरो और लुटो काफिरों..!”
बच्चे के इस जवाब ने मुझे निशब्द कर दिया…
सच्ची घटना पर आधारित!
साभार : एक सच्चा मुसलमान बच्चा